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हार-जीत

saritkriti
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हार-जीत

आज लोगों ने खेल को,
खेल नहीं एक युद्ध बना डाला है ।
खेल का मैदान खेल का मैदान नही ,
युद्ध का मैदान बना डाला है ।
खिलाड़ी बेचारा क्या करे ,
खेल तो हमेशा हार जीत का होता है ।
इसे इसी रूप मे न देख कर ,
हजारों उम्मीद इससे पाल लेते हैं ।
अपेक्षाएँ इतनी जबरदस्त होती है ,
इसकी जैसे कोई सीमा नही ।
परिस्थितियाँ चाहे जो हो ,
पिच पर जाकर कोई समझे ,
परिस्थिति क्या होती है ।
न जाने कितने विज्ञापन ,
बढ़ा चढ़ा कर पेश करना ,
मिडिया का भी एक अपना ही रंग है ।
वक्त से पहले ही जीत का जश्न मनाना ,
ये सबसे बड़ी लापरवाही है ।
कर्म किया नही उसका गुणगान ,
शुरू हो जाती है ।
जो अच्छा करेगा अच्छा पाएगा ,
मेहनत करेगा तो फल पाएगा ,
यही तो अटल सत्य है ।
सबसे पहले खेल को खेल समझो ,
हार जीत का सम्मान करो ,
फिर जाकर जीतने वाले का गुणगान करो ।
तभी तो जीत रंग लाएगा ,
जश्न जीत का मनाने मे मजा आयेगा ।
खामखा इन हरकतों पर ,
खिल्लिया उड़ाए जाते हो ।
हार जाने पर ,
औंधे मुह लौट आते हो ।

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