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अटकले

saritkriti
saritkriti
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देख कर इनकी कारजस्तानी ,
दिल मचल सा जाता है ।
चीनियों के चेहरे पर भी ,
पाकिस्तान झलक सा जाता है ।
दिल में इर्ष्या के आग जल रहे ,
लाख छुपाओ परदे डाल ।
दिख जाते हैं ओछी हरकत ,
धुआँ झलक ही जाता है ।
आतंकियों से त्रस्त देश है ,
ढूँढता फिर रहा है समाधान ।
चल रहा है उसी राह पर ,
जहाँ भी मिल जाए समाधान ।
अपनी सुरक्षा सभी करते हैं ,
करते हैं अपनी परवाह ।
देशहित का दायित्व है जिसपर ,
कर रहा है उसका निर्वाह ।
टांग अराना छोडकर अपना ,
चल दे अपनी – अपनी राह ।
बाँट सको न दुख जो किसी का ,
बाँध लो अपने पैर और हाथ ।

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