saritkriti
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पद्मावती
या देशहित न हो
या एक संगठन हित न हो
गर भारतीय संस्कृति के विरुद्ध हो
तो उसका तिरस्कार करना ही बेहतर
गर विरोधाभास के विपरीत हो
सामंजस्य बिठा रास्ता निकालना ही बेहतर
देश में न अराजकता फैले
आपस में न तनाव हो
शांति व्यवस्था बाधित न हो
ऐसी व्यवस्था करना ही बेहतर
जिससे हमारे संस्कृति का मान रहे
एक संगठन का सम्मान रहे
न हो छत विछत अर्थव्यवस्था
न ही कोई व्यवधान रहे
धरोहर है जो हमारे मान है
क्यों कुरेदे उनका अतीत
जिससे आंतरिक उथल पुथल हो
न छेड़ो तुम ऐसी तान
जिससे राष्ट्र की शांति न भंग हो
कुछ तो ऐसा काम करो
झेल रहा कितने ही वर्षों से देश अपना
बाहरी आतंक और उथल पुथल
छोड़ दे सारी खींचातानी
सारी बातें है बेमानी
बाहर से लाख कोई आतंक मचाए
अपने घर मे शांति रहे ।
सरिता प्रसाद
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