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प्यार और एकता का प्रतीक छठ पर्व
रिश्तों के सुगंधों से सुगंधित,
प्यार के रसों से सराबोर ,
एकता के अद्भुत डोर मे बंधा,
ईश्वरिए कृपा से ओत – प्रोत,
आस्था और भक्ति में लीन,
एक विशाल जन समुदाय,
आखिर कहाँ जा रहा है?
क्या कोई हीरा मोती,
या कोई धन संपदा,
प्राप्त करने जा रहा है।
नहीं – नहीं कुछ भी नहीं,
यह तो सूर्य देव की अद्भुत शक्ति है,
जो पहली किरण के रूप में,
एक विशाल जन समुदाय को,
अपनी ओर खिंच रहा है।
प्यार और एकता के डोर में बंधे,
त्रिदिवसीय उपासक इश्वरिए भक्ति में लीन,
प्रभु कि एक कृपा एक दरश पाने हेतु,
एक विशाल जन समुदाय गंगा तट पर,
अस्ताचलगामी उदयगामी सूर्य के अद्भुत दर्शन कर,
छठ माता स्वरूप ईश्वर को अर्घ्य चढ़ाने जा रहा है।
उस महान प्रभु के कृपा से कृत –कृत होकर
एक विशाल जन समुदाय प्रेम और एकता के प्रतीक,
इस महान शुद्ध सात्विक त्योहार पर अपने परिवार,
के शुभ कामनाओं के साथ सारे भेद – भाव छोड़कर
प्रेम और एकता के डोर मे बंधने जा रहा है ।
सरिता प्रसाद
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