saritkriti
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बर्फीली सर्दी
कहीं बर्फ की चादर बिछ गई
ठंडी – ठंडी हवा चली
अस्त – व्यस्त हुआ जनजीवन
सर्दी गलन की कहर बढ़ी
मजा आ गया शैलानियों को
मौज – मस्ती की दौर चली
शहर – शहर से भ्रमण को आए
सफ़ेद चादर से ढकी धरा
बच्चों ने खेले गोले बनाकर
कूद भाग हुड़दंग मचाकर
मनोरम कर दिया वन उपवन
कितना सुंदर कितना सजीला
धरती का यह रूप रुपहला
ठिठुरन के संग मस्ती छाई
शैलानियों के मन भरमाई
आई मनोरम सर्दी आई
कहीं बर्फ की चादर बीछ गई
ठंडी – ठंडी हवा चली
सरिता प्रसाद
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