saritkriti
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श्रद्धांजलि
जीते तो हैं सभी
अपने लिए अपनों के लिए
ज़िंदगी उन्ही कि मुकम्मल होती है
जो कुछ पल जीते हैं औरों के लिए
लम्हा निकल जाता है ज़िंदगी का
यूँ ही चलते सोचते
लम्हा ज़िंदगी का मुकम्मल होता है उन्ही का
जो कुछ पल सोचते हैं औरों के लिए
जो चार कदम चलते हैं औरों के लिए
धड़कते हैं दिल सभी के अपनों के लिए
विरले ही होते हैं वो जिनके सीने में
धड़कते हैं दिल औरों के लिए
यादों में सजते हैं वो
जहां से चले जाने के बाद
जुबां पर नाम होता है उन्ही का
रुखसती पाने के बाद
सरिता प्रसाद
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