FOR AN POET SKY IS LIMIT
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सुना है हमने आदिकाल से आज हो या कल
एक ही मूल मंत्र जीवन का
एकता में बल ॥
जल हीन थल हीन जी लेता है जन जन
पर बिना साथ के शूरवीर भी जी ना पाया एक पल
एक ही मूल मंत्र जीवन का एकता में बल ॥
पक्षी क्षितिज का चोर ढूंढ़ने बना लेता है दल
असंभव को संभव करने का एक मात्रा है हल
एक ही मूल मंत्र जीवन का एकता में बल ॥
-सार्थक बनर्जी
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