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कम्युनिकेशन स्किल

सतीश मित्तल- विचार
सतीश मित्तल- विचार
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कम्युनिकेशन स्किल या संचार कौशल-माहरत वो कला है, जिसमें एक व्यक्ति अपनी बात दूसरे तक मौखिक , लिखित , पिक्चर , इशारे आदि के माध्यम से प्रभावी ढंग से पहुँचाता है lआज जीवन के हर क्षेत्र में कम्युनिकेशन स्किल या संचार कौशल या लेखन शैली का बड़ा रोल है l अखबार, किताबें, फ़िल्में, फ़िल्मी गाने , साहित्य , नेताओं के भाषण आदि एक बेहतरीन प्रभावी कम्युनिकेशन कौशल का ही नमूना है l ग्लोबल होती दुनिया में नौकरी के क्षेत्र में कम्युनिकेशन स्किल रखने वाले व्यक्ति की भारी मांग है l किसी साहित्यकार , पत्रकार , टीचर , नेता , अभिनेता , लेखक आदि का कॅरियर उसके कम्युनिकेशन स्किल या संचार कौशल-माहरत पर ही निर्भर करता है l आज कुछ लोग कम्युनिकेशन स्किल की योग्यता अंगरेजी को ही मानते है ,पर ग्लोबल होती हिन्दी, जिसे हम हिंगलिश (जिसमें हिन्दी , अंग्रेजी व् अन्य भाषा के वो शब्द भी शामिल हो जो हमारी रोजमर्रा की बोल चाल में प्रयोग होते है ) भी कह सकते है, में कम्युनिकेशन स्किल के महत्व को नकारा नहीं जा सकता l इसका ताजा उदहारण हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी है जो हिन्दी में ही कम्युनिकेट करते है l हिन्दी के प्रभावशाली कम्युनिकेशन स्किल के कारण वह हिन्दुस्तान ही नहीं अमेरिका तक में छा गए l मोदी जी का – “सबका साथ, सबका विकास का नारा ,125 करोड़ भारतीयों में ही नहीं भारतीय मूल के लाखों अमेरिकियों में भी सिर चढ़ कर बोल रहा है l
स्कूलों में विशषकर 6th से 12th तक हिन्दी , इंग्लिश विषय की परीक्षा में निबंध लिखने को आता है l निबंध लेखन से छात्रों में संचार-कौशल , कम्युनिकेशन स्किल का डवलपमेंट होता है, जो जीवन भर काम आता है l
विद्यार्थी जीवन में निबंध के जरिये कम्युनिकेशन स्किल की एक घटना मुझे आज तक याद है l 8th की अर्धवार्षिक परीक्षा में हिन्दी विषय की परीक्षा में निबंध का विषय था – “वर्षा ऋतु का वर्णण” l मै निबंध बिना याद किये ही अपने मन से लिखता था l किसान परिवार में जन्म होने व् खेत पर काम करने के अनुभव ने मुझे कल्पनासील बना दिया l खेत में पानी देते समय मै खेत की मेंढ पर बैठ, गन्ना चूसते हुए , झींगुर की आवाज , मेंढक की टर-टर , सुनसान अंधेरी रात में खेतों में उड़ते जुगनू को देख ,विचारों में खो जाता और तारों की घनी छाव में बराबर में लालटेन व् फावड़ा रख , प्रकृति की खूबसूरती का मन से निहारता l भला ऐसे विचारक को वर्षा ऋतू का निबंध लिखने में क्या दिक्कत हो सकती थी l
मेरे निबंध लिखने की कला गुरू जी भा गई l पूरी कक्षा के सामने मुझसे मेरा लिखा निबंध पढ़वाया गया l डर से बुरा हाल था l कारण मैंने निबंध किसी किताब से याद न कर अपनी कल्पना से लिखा था l सभी सहपाठी निबंध बड़ी तल्लीनता से सुन रहे थे l अंत में गुरू जी ने मुझसे पूछा – “ निबंध कौन सी किताब से याद कर लिखा ? मैंने डरते हुए सारा किस्सा ब्यान कर दिया l सर! वर्षा ऋतू पर लिखा गया यह निबंध मैंने स्वयं अनुभव कर अपनी कल्पना से लिखा है l मै रात में अपने खेत में पानी देने जाता हूँ l इस लिए मैंने जैसा देखा , अनुभव किया लिख दिया l गुरू जी ने पूरी क्लास के सामने मेरे लेखन को सराहा बोले – “बताओं कितने नंबर दूँ “?
तो ये है कम्युनकेशन स्किल का कमाल ! आज ब्लॉगिंग भी कम्युनिकेशन स्किल डेवलमेंट का ही एक हिस्सा है जिसमें अनजाने भी हमारे विचारों से प्रभावित हो टिप्पणी करने को विवश हो जाते है l आइये भावी पीढ़ी में अच्छी कम्युनिकेशन स्किल का विकास करने में अपना अपना यथासंभव योगदान दें ?

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