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भारतीय परंपरा के बाहक भारतीय मुस्लिम बर्ग

India 21st Century
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आज भारत में मुसलमान अल्‍पसंख्‍यक के रूप में जाने जातें है लेकिन विश्‍व में मुस्लिमों की संख्‍या काफी अधिक बहुत से देश पूरी तरह से इस्‍लाम को मानने वाले है। भारतीय मुस्लिम समुदाय अपने आपको असुरक्षित और कमजोर महसुस करती है लेकिन भारत में मुगल काल एक के दौरान मुसलमान शासक बहुत समय तक शासन किये और बाबर एवं अकबर जैसे सम्राट भी हुये। भारत में इस्‍लाम का आगमन 12वीं शताब्‍दी में हुआ था और आज भारत में मुस्लिम जनसंख्‍या लगभग 25 करोड़ से अधिक है। विश्‍व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहॉ सरकार हज यात्रा के लिये विमान के किराया में अनुदान देती है।

मुसलमान इस्‍लाम धर्म को मानते है और इस्‍लाम एकेश्‍वर वादी धर्म है जो कुरान की शिक्षा पर आधारित है इसका अर्थ होता है ‘अल्‍लाह को समर्पण’। आज भी भारतीय मुस्लिम समुदाय में भारत की पुरानी तस्‍वीर देखने को मिल रही है, जहॉ हिन्‍दु अपनी संस्‍कृति एवं सभ्‍यता को छोड़कर पश्चिमी सभ्‍यता की तरफ आकर्षित हो रहे है वही भारतीय मुसलमान आज भी अपने समुदाय में आपसी एकता बनाये रखने में सफल है और इनको कमजोर करने या इनके शोषण का जितना ही प्रयास किया जा रहा है यह बर्ग उतना ही आपसी एकता को मजबुत कर रहा है। आज भारतीय मुसलमाल राजनीति के केन्‍द्र में है हर कोई दल इनका वोट हासिल करने के लिये अनेक प्रकार से प्रयास करता दिखाई दे रहा है, इसका केवल एक ही कारण है कि भारतीय मुसलमान आज भी संगठित है। भारतीय हिन्‍दु जहॉ अनेक जातियों में बॅट चुका है वही मुस्लिम समाज पहले से अधिक सशक्‍त हुआ है।

आप अगर किसी हिन्‍दु से उसके बारे में पुछिये तो वह कहेगा कि हम ब्राम्‍हण, क्षत्रीय, पिछड़े बर्ग या दलित बर्ग से है लेकिन मुसनमाल का जबाब होता है कि वह मुस्लिम है। हिन्‍दु समाज में अगर किसी हिन्‍दु परिवार में कोई गरीब है और उसे सहारे की आवश्‍यकता है तो उसका हिन्‍दु समाज आगे आने से कतराता है जैसे किसी गरीब हिन्‍दु लड़की की शादी, बिमारी या कोई अन्‍य समस्‍या लेकिन मुस्लिम समाज में आज भी लोग एक दुसरे का मदद करतें है और किसी धार्मिक प्रयोजन में अगर किसी व्‍यक्ति को यह कह दिा जाय कि आपको इतना धन देना है वह सहर्ष तैयार हो जाता है चाहे वह कितना भी गरीब क्‍यों न हो लेकिन हिन्‍दु समाज में वह नकार देता है और कुछ ही लोग रूचि लेते है बाकि पाखण्‍ड कहकर मना कर देतें है।

इस प्रकार देखा जाय तो जो हमारी प्राचीन भारतीय परंपरा थी कि लोग एक दुसरे का सुख या दुख में मदद करते थे और पुरा समाज या गॉव एक इकाई होता था, सभी जरूरत के सामानों का उत्‍पादन और वितरण स्‍थानीय स्‍तर पर ही समुदाय द्वारा किया जाता था, वस्‍तु विनिमय की परंपरा थी लोग एक सामान के बदले दुसरे सामान के लेन-देन करते थे, यह परंपरा आज लगभग समाप्‍त हो गयी है लेकिन बावजूद इसके भारतीय मुस्लिम समाज में जाने अनजाने में ही सही यह पंरपरा आज भी जिन्‍दा है। प्राचीन काल में हिन्‍दु एवं मुस्लिम दोनों एक दुसरे के साथ रहते थे लेकिन कोई बैर नही था लेकिन आज दोनों एक दुसरे के दुश्‍मन बने हुये है। धार्मिक संघर्ष की घटनाये बढ़ रहीं है।

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