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संविधान और पंचायत (73वाँ संविधान संशोधन)

India 21st Century
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26 जनवरी 1950 को भारत का जो संबिधान लागू हुआ उसमे दो सरकारों का प्रावधान किया गया। संविधान के भाग 5 में संघ अर्थात केंद्र सरकार का विवरण तथा भाग 6 में राज्य सरकार का विवरण है। इस प्रकार पहली सरकार केंद्र सरकार तथा दूसरी सरकार राज्य सरकार है। एक लम्बे समय अर्थात 1994 तक इन्ही दोनों सरकारों के दवारा देश का शासन चलता रहा। वर्ष 1992 में 73 वें संविधान संशोधन के द्वारा एक और सरकार का प्रावधान किया गया। संविधान के भाग 9 के अंतर्गत पंचायत व 9 A के अंतर्गत नगरपालिका को Self-Government अर्थात अपनी सरकार का प्रावधान किया गया। नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत अनुच्छेद 40 में भविष्य की जो संकल्पना की गई थी ,एक तरह से उसे ही समय और परिस्थिति की मांग एवं दबाव के फलस्वरूप मूर्तरूप देना पड़ा।

इस प्रकार पंचायतों को Self- Government अर्थात अपनी सरकार के रूप में पूर्ण संवैधानिक दर्जा देकर देश में नए सिरे से तीसरी सरकार की स्थापना की गई। इस अपनी सरकार की आवश्यकता और मांग आजादी से पहले व आजादी के बाद देश के सभी प्रमुख राष्ट्रनिर्माताओ एवं सामाजिक विचारकों द्वारा बराबर की जाती रही है। 1992 में 73 वें संविधान संशोधन के द्वारा ही इसे पूरा करना अब संभव हुआ है ।

लेकिन जैसा कि आप सब अवगत है कि इस तीसरी सरकार की स्थापना के लगभग 20 वर्ष बीत जाने के बाद भी वह सही अर्थो में सरकार तो बन नहीं पाई बल्कि तथाकथित विकास की बदनाम एजेंसी या एजेंट के रूप में अधिक जानी जा रही है। यह एक और संवैधानिक संस्था बनने की बजाय एक व्यक्ति का संगठन बनकर रह गई है। इसके लिए जहाँ एक तरफ कुछ अधिनियम गत कमियां है वही दूसरी ओर यह आजतक सामान्यजन के विचार व भाव में अपनी सरकार का स्थान नहीं ले पाई है। जिसके चलते लोगो का कोई जुड़ाव तथा रूचि इसके प्रति नहीं बन पाई।

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