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सांसद आदर्श ग्राम योजना का सच

India 21st Century
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आज देश के आजादी के 67 साल बाद भी हमारे गॉवों मे मूलभूत सुविधायें नहीं है, जहॉ देश की 70 प्रतिशत से अधिक लोग रहतें है, नरेन्द्र मोदी जी को सांसद को आदर्श ग्राम बनाने की जगह केन्द्र और राज्यस सरकार के योजनाओं को लागू कराने और उनके पारदर्शिता के बारे में निर्देश देना चाहिये क्योंजकि आखिर सांसद भी तो उन्हीग योजनाओं को ही लागू करायेगें । इससे देश का हर गॉव विकास कर सकेगा जैसा कि कुछ गॉवों ने पहले से ही इसे लागु कर एक आदर्श बनाया है जैसे हिवरे बाजार । इससे पहले भी इस प्रकार की योजनायें आयी लेकिन सफल नही हो सकी । जैसे अटल ग्राम योजना, अम्बेकडकर ग्राम, लाहिया ग्राम योजना, समग्र ग्राम योजना इत्यारदि ।
उत्तार प्रदेश में सांसद आदर्श ग्राम योजना को समग्र ग्राम विकास की तर्ज पर लागु किये जाने की तैयारी है जिसमें 20 विभागों की 36 योजनायें शामिल है, इसमें ज्याीदातर वे ही योजनायें है जिनको करने का अधिकार ग्रामसभा को सीधे प्राप्त है । अगर ग्राम पंचायत को ही शसक्ता कर दिया जाय, केन्द्र और राज्यक सरकार की योजनाओं को भ्रष्टारचार मुक्तस कर दिया जाय, उनको जमीनी स्तजर पर ठीक ढंग से लागु कर दिया जाय तो किसी सांसद को गॉव गोद लेने की आवश्यरकता नही पड़ेगी और सभी गॉव समृद्ध बन सकेंगें । अगर एक सांसद एक बर्ष में तीन गॉव गोद लें तो 543 सांसद 1629 गॉव एक बर्ष में विकसित कर पायेंगे इस प्रकार 5 लाख गॉवों को विकसित करनें में लगभग 300 साल से भी ज्यांदा का समय लगेगा । क्याब हम कुछ गॉवों को आदर्श बनाकर बाकि के साथ भेदभाव नही करेगें, क्यास इससे संविधान के समानता के अधिकार का हनन नही होगा । इस प्रकार के अनेक सवाल है वैसे भी पैसे तो आज भी करोड़ो आते है लेकिन भ्रष्टााचार की भेंट चढ़ जातें है, तो क्याव इसमें भ्रष्टाभचार नही होगा, यदि नही तो फिर सभी योजनाओं को भ्रष्टाेचार मुक्तअ बनाकर सभी गॉवों को आदर्श क्योंी नही बनाया जा सकता ।
इस प्रकार की अनेक योजनायें आतीं है जैसे अम्बेेडकर आदर्श ग्राम योजना, लोहिया आदर्श ग्राम योजना, अटल ग्राम योजना इत्यासदि जिसमें एक बर्ष के लिये गॉवों का चयन किया जाता है और फिर दुसरे बर्ष किसी दुसरे गॉवों का लेकिन किसी गॉव की सुरत में कोई फर्क दिखाई नही देता । वहॉ भी वही समस्यासयें मौजूद है जो दुसरे गॉवों में । आज भी हमारें गॉवों में बिजली, सड़क, स्वोच्छो पानी, स्वा‍स्य्द सेवाओं, शिक्षा आदि का अभाव है, लोग भारी संख्या में पलायन को मजबूर हैं लेकिन हम अपनी पीठ थपथपाते नही थकते हैं ।
गरीबी हटाने और रोजगार पैदा करने के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर हमारे पास सिर्फ और सिर्फ योजनाएं हैं। पिछले साल भारत सरकार ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गरीबी निर्मूलन के लिए 151460 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। भारत के महालेखाकार (कैग)के अनुसार इसमें से ज्यादातर पैसा गैर सरकारी संगठनों और सरकारी एजेंसियों के माध्यम से खर्च किया जा रहा है। इसके अलावा ये रुपया 8 अलग-अलग योजनाओं में बांट दिया गया मानों इस देश के लोगों की समस्याएं महज 8 प्रकार की हैं। जब तक पैसा एक स्लम या एक गांव तक पहुंचे तब तक प्रशासनिक खर्च में ही बहुत सारा पैसा बर्बाद हो जाता है। शौचालय निर्माण के लिए आबंटित पैसा जिला प्रशासन की गाड़ियों, टेलीफोन और अन्य सुविधाओं पर खर्च कर दिया गया।

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