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विधानसभा चुनाव और जनता के मुद्दे – भाग 1

India 21st Century
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4 जनवरी को सुबह निर्वाचन आयोग के विधान सभा 2017 के लिए पांच राज्यों में चुनाव तिथियों के घोषणा करते ही आचार संहिता लागू हो गई और ठंड के मौसम में भी सियासी पारा अचानक बढ़ गया और एक्जिट पोल का खेल भी शुरू हो गया। सबसे बड़े राज्‍य उत्तर प्रदेश की कुल 403 सीटों के लिए सात चरणों में मतदान होगा और नोटबंदी के साथ ही निर्वाचन आयोग भी प्रत्‍याशियों को कैसलेश चुनाव के लिये निर्देशित कर रहा है।

नोटबंदी के बाद शुरू किया गया मोदी सरकार के कैशलेस अभियान को चुनाव आयोग ने आगामी विधानसभा चुनावों में भी लागू करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा कि उम्मीदवारों को अब 20 हजार रुपये से अधिक नकद खर्च करने की अनुमति नहीं होगी। इससे अधिक का भुगतान केवल चेक या ड्राफ्ट के माध्यम से किया जा सकेगा। आयोग ने उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में प्रत्याशियों के लिए खर्च की सीमा 28 लाख रुपये और मणिपुर व गोवा में 20 लाख रुपये तय की है। आयोग ने यह साफ कर दिया है कि इसे उम्मीदवार नकद में खर्च नहीं कर सकता है। लेकिन जमीनी सच्‍चाई कुछ और ही होती है और अभीतक कई प्रत्‍याशी करोड़ों रूपये खर्च कर चुके हैं।

सभी राजनीतिक दल अपने अपने घोषणा पत्रों के माध्‍यम से जनता के साथ वादा करते हैं और सत्‍ता में आने के बाद उन वादों को पूरा करने का वि‍श्‍वास भी दिलाते हैं, चुनाव आयोग ने भी कहा है कि अगर कोई दल घोषणा पत्र में ऐसी घोषण करता है जो असंवैधानिक हो या वह उसे पूरा नही करता है तो उस दल के उपर कानुनी कार्यवाही की जायेगी। अभी तक घोषणा पत्र दलों के लिये चुनाव में वोटरों को लुभाने के लिय केवल एक दस्‍तावेज का काम करता था लेकिन आज इन्‍टरनेट और सोशल मिडिया के माध्‍यम से आम आदमी के बीच भी जागरूकता बढ़ी है खासकर युवाओं में, वे अब अपने अधिकारों के प्रति सजग हुये है।

इन सभी के बावजूद चुनाव के दौरान जनता के मुख्‍य मुद्दे जैसे गुणवत्‍ता युक्‍त शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, बिजली, पानी, सड़क, रोजगार, इन्‍टरनेट और सबसे जरूरी विकास या प्रशासन में उनकी भागीदारी आदि गायब हैं, ज्‍यादातर दल पेंशन, भत्‍ता, अनुदान आदि की बात करतें है लेकिन जनता को कोई अधिकार नही देना चाहता। जिस प्रकार से केन्‍द्र और राज्‍य सरकार है उसी प्रकार से गॉवों में गॉव की सरकार यानि ग्रामसभा और ग्राम पंचायत है। चुनावों से पंचायत गायब हो जाती है और जब इनके अधिकारों की बात की जाती है तो सभी दल मौन हो जाते हैं। जिस भारतीय संविधान के तहत यह विधान सभा के चुनाव हो रहे है उसी संविधान ने 73वें और 74वें संशोधन के माध्‍याम से जनता को प्रशासन में सीधे भागीदार बनाया है। भारतीय संविधान में केन्‍द्र को Union Government राज्‍य को State Government तथा गॉव की सरकार को Self Government अर्थात अपनी सरकार कहा है। यह दुनिया का सबसे बड़ा सत्‍ता का विकेन्‍द्रीकरण है लेकिन जनता की कम जागरूकता और राजनीतिक दलों की उदासिनता के कारण यह मृत प्राय है। भारत के 135 करोड़ लोग अभी तक नागरिक नही बन पाये हैं।

पंचायतों के मामले में उत्‍तर प्रदेश सबसे कमजोर राज्‍य है यहाॅ पंचायते केवल राज्‍य और केन्‍द्र सरकार की ठेकेदार बनकर रह गयी है, वह केवल केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों के योजनाओं का क्रियान्‍यवन का कार्य करती है जो एक ठेकेदार करता है। पंचायतें अभीतक सरकार नही बन पायी है जैसे कि संविधान में कहा गया है, 11वीं अनुसूची में पंचायतों को कुल 29 विषय दिये गये है लेकिन राज्‍यों ने सभी अपने हाथ में ले रखा है। अगर इन सरकारों को अधिकार नही देना है तो संविधान से इसे हटा देना चाहिये। सरकार वह होती है जो अपना योजना बना सके, निर्णय ले सके और उस निर्णय को लागु कर सके, जैसा कि उपर की दोनों सरकारें करती हैं। वर्तमान में केरल, झारखण्‍ड आदि राज्‍य अपने पंचायतों को पूरा अधिकार दिये है, बिहार की ग्राम कचहरी ने एक अनूठा माडल प्रस्‍तुत किया है जबकि उत्‍तर प्रदेश में 1972 के बाद से ही न्‍याय पंचायत, पंचायत राज कानुन में होने के बावजूद गठित नही की गयी। इसके गठित होने से 70-80 प्रतिशत मामलों का निपटारा गॉव के ही स्‍तर पर हो जायेगा और अदालतों से मुकदमों का बोझ भी कम होगा, जनता की भागीदारी प्रशासन में होगी।

अफसोस यह है कि सही मायने में जनता के स्‍वतंत्रता और विकास के मुद्दे गायब है और राजनीतिक दल हमेशा यही चाहते है कि वह जनता पर शासन करते रहें और उन्‍हे अधिकार न दिये जाये। यही कार्य कभी ब्रिटिश सत्‍ता करती थी, संविधान ने हमें मालिक तो बना दिया लेकिन हम आज भी विचारों के गुलाम हैं और यह चुनाव जनता के लिये नही बल्कि राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के महत्‍वकांक्षा तथा फायदे के लिये होते है, सत्‍ता एक दल के हाथ से दुसरे दल के हाथ में चली जाते है लेकिन जनता वहीं खड़ी रह जाती है। नेता और पार्टियॉ धनवान होते जाते है और जनता गरीब।

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