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क्या यह संभव है?

jara sochiye
jara sochiye
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  • हमारे देश में कानून के अनुसार रिश्वत लेना और देना दोनों अपराध माने  जाते हैं परन्तु कभी कभी ऐसी भी परिस्थितियां भी आती है जब भ्रष्ट तंत्र  में बिना रिश्वत दिए अपना काम  निकलना असंभव है .कार्य संपन्न होने के लिए देरी करना भी संभव नहीं होता।
  • क्या एक ठेकदार से उम्मीद की जा सकती है की वह बिना रिश्वत दिए सरकारी विभाग में काम  कर सकता है.क्या वह अन्ना की तर्ज पर विभागों से लड़ कर अपने व्यवसाय को चला पायेगा।
  • क्या यह संभव है जब दुर्भाग्य वश किसी परिजन की दुर्घटना में मौत हो जाय और उसका पोस्ट मार्टम में अनुचित देरी हो रही हो और उससे जल्दी कार्य के लिए रिश्वत की मांग की जा रही हो. क्या ऐसे नाजुक मोड़ पर उसके लिए रिश्वत के विरुद्ध झंडा  खड़ा करना संभव है
  • यदि कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार है उसके करीब में कोई निजी चिकित्सालय नहीं है,या उसकी आर्थिक स्थिति निजी चिकित्सालय का खर्च वहन कर पाने की नहीं है.  अतः उसे सरकारी हस्पताल में प्रवेश दिलाना मजबूरी है. परन्तु वह प्रवेश दिलाने के लिए रिश्वत की मांग की जा रही है इस आकस्मिक अवस्था में क्या रिश्वत न देने के सिद्धात को अपनाते हुए मरीज को मरने के लिए छोड़ देना चाहिए?
  • जब किसी बेगुनाह पर संदेह के आरोप लगे हों और पुलिस  उस पर संदेह के आधार  पर थर्ड डिग्री की यातनाये देने लगती है, और उससे  असहज स्थिति से  बचने के लिए घूस की पेशकश की जाती  है. तो ऐसे समय में रिश्वत का विरोध करते हुए उसको पोलिस के लात घूंसों को खाने के लिए छोड़ देना चाहिए और उसे अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अदालती कार्यवाही का इंतजार करने देना चाहिए। फिर चाहे उसका कारोबार या उसकी नौकरी ही दांव पर न लग जाय.

यहाँ पर मेरे कहने का तात्पर्य यह नहीं है की भ्रष्टाचार का समर्थन किया जाय.मेरे कहने का तात्पर्य है की भ्रष्टाचार हमारी रगों में इस प्रकार  दौड़ चुका है की उसके बिना सोच कर भी असहज लगने लगता है,अतः यदि आज से ही ईमानदार कोशिश हो तो भी  इससे दामन छुड़ाने में काफी समय लगने वाला है.

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