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विचार मंथन (भाग चार )

jara sochiye
jara sochiye
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गाय हमारी माता है तो बिजार या बैल?
हिन्दू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार गाय को माता के सामान पूज्यनीय माना गया है. और्वेदिक चिकत्सा में गाय का दूध, गाय का मूत्र, गाय का गोबर सभी वस्तुएं उपयोगी बताई गयी हैं. अर्थात मानव स्वास्थ्य के लिया लाभकारी हैं. परन्तु इसी गाय की नर संतान यानि बिजार या बैल को पूज्यनीय तो क्या सामान्य व्यव्हार भी नहीं दिया जाता .क्या उसके अवयव उपयोगी नहीं होते ,इसीलिय उसे नपुंसक बना कर खेतों में जोता जाता है उसको बधिया बना कर अपनी जिन्दगी सामान्य जीने का अधिकार भी नहीं दिया जाता .इससे तो यही सिद्ध होता है गाय की उपयोगिता के कारण ही उसे माता मान लिया गया और पूजा गया .इन्सान अपने स्वार्थ के लिए ही किसी को पूजनीय मान लेता है.
यह कैसा देवी रूप?
हमारे शास्त्रों में स्त्री को देवी के रूप में पूजनीय बताया गया है. प्रत्येक पूजा पाठ में स्त्री को पुरुष की अर्धांगिनी मानते हुए उसका उपस्थित होना अनिवार्य माना गया है. प्रत्येक सामूहिक शब्द में नारी को प्राथमिकता देते हुए उच्चारण किया जाता है, जैसे देवी देवता, माता पिता, सीता राम,राधा कृष्ण अर्थात नारी को उच्च सम्मान दिया गया है. परन्तु फिर भी हजारों वर्षों से नारी को दोयम दर्जे का व्यव्हार दिया गया है. उसे भोग्या समझ कर उसका शोषण, उसका अपमान किया जाता रहा है.परन्तु क्यों?धार्मिक होने का दावा करने वाले अपने व्यव्हार में इतने अधार्मिक क्यों?क्या इस प्रकार का व्यव्हार धर्म का अपमान नहीं? शास्त्रों का अपमान नहीं? अपने इष्ट देव का अपमान नहीं?. नारी जागरण के लिए अनेक आन्दोलन चलने के बावजूद, अनेक सरकारी कानून बन्ने के बावजूद महिला के साथ हिंसा,दुर्व्यवहार,दुराचार अपमान आज भी जारी है.
राम नाम सत्य है
प्रत्येक धार्मिक व्यक्ति के लिए राम के नाम को सत्य मानना उसके विश्वास का प्रतीक है. परन्तु साधारण बोल चाल में यदि कोई कह दे “राम नाम सत्य है”तो शायद कोई भी कुपित हो जाय , कहने वाले को कातर निगाह से देखेगा. क्योंकि “राम नाम सत्य है” का उच्चारण सिर्फ मृतक को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए वैध माना गया है . अर्थात राम का नाम सिर्फ जब ही सत्य है जब कोई मर जाय अन्यथा राम का नाम सत्य नहीं होता, राम का नाम सत्य कहना, अशुभ होता है., कितनी विरोधाभासी मान्यता है हमारे समाज की ?.

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