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अन्ना जी और गाँधी जी(JAGRAN JUNCTION FORUM )

jara sochiye
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अन्ना जी के भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन की सफलता के पश्चात्, एक बहस छिड़ गयी है की क्या अन्नाजी को गाँधी जी के समकक्ष रखना उचित होगा.अन्ना जी की तुलना गाँधी जी से करना न्याय संगत है क्या? क्या अन्ना जी का कद गाँधी जी से भी बड़ा हो गया है? जागरण फोरम ने भी इस मुद्दे को बहस का विषय बनाया है.
मैं अपने विचार से अन्ना जी के कद को गाँधी जी कद से बड़ा मानता हूँ और अपने विचार के समर्थन में अपने निम्न लिखित तर्क प्रस्तुत करता हूँ. ताकि प्रत्येक विचार शील व्यक्ति मेरी बात को समर्थन दे सके
गाँधी जी के स्वतंत्रता आन्दोलन के समय अनेक स्वतंत्रता सेनानी आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे थे. अर्थात नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ,स्वामी विवेकानंद,लाला लाजपत राय,बाबा साहेब अम्बेडकर,जवाहर लाल नेहरु जैसे अनेको नमी गिरामी नेता स्वतंत्रता आन्दोलन को चला रहे थे. परन्तु वर्तमान आन्दोलन के मात्र एक ही सूत्रधार हैं,श्री अन्ना हजारे, जो अपनी टीम के सदस्यों के साहसिक सहयोग के साथ आगे बढ़ रहे थे.अन्य कोई पार्टी,कोई नेता इस आन्दोलन को नहीं चला रहा था. स्वामी रामदेव के आन्दोलन को अवश्य सहयोगी नेतृत्व कहा जा सकता है परन्तु रणनीतिकारों के अभाव में वे प्रभावशाली नेतृत्व नहीं कर पाए.
गाँधी जी सुविधा संपन्न पारिवारिक प्रष्ट भूमि से आए थे, अतः शिक्षा प्राप्त करने का पर्याप्त अवसर मिला,जो आन्दोलन को चलाने के लिए महत्वपूर्ण मार्ग दर्शन उपलब्ध कराता है.परन्तु श्री अन्ना हजारे एक बेहद गरीब एवं पिछड़े माहौल से आए थे, इसी कारण शिक्षा भी ग्रहण नहीं कर पाए मात्र प्राइमरी शिक्षा तक अध्ययन कर सके. फिर भी इतने बड़े आन्दोलन का नेतृत्व कर पाने में सफल हुए.
अन्ना जी की लोकप्रियता को गाँधी जी की लोकप्रियता से किसी भी प्रकार से कम नहीं आंका जा सकता. उनका देश के लिए संघर्ष रत जीवन, जो करीब चालीस वर्ष है कम नहीं माना जा सकता. जिसमे उन्होंने जनता को अनेकों समस्याओं से निजात दिलाई है.राष्ट्रिय स्तर पर यह उनकी पहली सफलता है. इनकी लड़ाई को आजादी की लड़ाई से कम नहीं माना जा सकता बल्कि यह संघर्ष अधिक जटिल संघर्ष है. क्योंकि विदेशी सरकार से लड़ना आसान होता बनिस्वत अपनी सरकार के अर्थात अपनों से लड़ना अधिक चुनौती पूर्ण होता है.
अन्ना जी का आन्दोलन गाँधी दर्शन पर आधारित था ,अतः यदि अन्ना जी को गाँधी जी का अनुयायी कहने में कोई परहेज नहीं होना चाहिए उनके सिद्धांतों के कारण ही आन्दोलन को अहिंसक तरीका अपना कर सफल बनाया जा सका. परन्तु गाँधी जी के सिद्धांतों पर चल कर यदि कोई व्यक्ति गाँधी जी के कद से ऊपर कद बना लेता तो यह स्वयं गाँधी जी के सम्मान से कम नहीं है.
सत्य शील अग्रवाल

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