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विचार मंथन (भाग एक)

jara sochiye
jara sochiye
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कलाकारों की फीस जनता के साथ अन्याय
समाचार पत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बड़े बड़े एक्टर, टीवी. चेन्नल पर एक एपिसोड में अपना किरदार निभाने के करोड़ों रूपए अपने पारिश्रमिक के रूप में वसूलते हैं. इसी प्रकार विज्ञापन के लिए भी लाखों में फीस वसूल करते है. जबकि एक उद्योगपति के लिए अरबों रूपए लगाकर,अनेकों जोखिम उठाने के पश्चात् भी पूरे वर्ष में एक करोड़ की कमाई कर पाना निश्चित नहीं होता.क्या इन एक्टरों का कार्य इतना कष्ट साध्य या दुर्लभ है जिसके लिए उन्हें इतनी बड़ी कीमत चुकाई जाती है.कार्पोरेट सेक्टर के पास जनता का पैसा होता है अतः उन्हें खर्च करने में कोई परेशानी नहीं होती. एक्टरों द्वारा जनता में अपनी पहचान बना लेने की इतनी बड़ी कीमत वसूलना जनता के साथ, देश के साथ अन्याय है. सरकार को चाहिए जो कलाकार एक करोड़ रूपए से अधिक वार्षिक आमदनी करते हैं उनसे पचास प्रतिशत तक आय कर वसूल किया जाय .
यह कैसा सर्वशिक्षा अभियान?
गुलामी की जंजीरों से मुक्ति मिलने के पश्चात् हमारे देश की विभिन्न सरकारों ने देश की समस्त जनता को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया. समय समय पर अनेक कानूनों द्वारा साक्षरता मंत्रालय ने विभिन्न स्तर पर साक्षरता अभियान चलाये, शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिय, मिड डे मील,छात्रवृति इत्यादि प्रलोभनों से अभियान को प्रभावी करने का प्रयास किया. फलस्वरूप शिक्षा का प्रचार प्रसार द्वारा साक्षरता दर बढ़ी.परन्तु सरकार ने आज भी सर्वशिक्षा एवं शिक्षा की गुणवत्ता के लिए प्रयास अधूरे ही किये हैं. विद्यालयों ,कालेजों का अभाव आज भी सर्व विदित है . निजी स्कूल, कालेजों की आयी बाढ़ और उनके द्वारा अभिभावकों का शोषण इस बात का प्रयाप्त सबूत है, स्कूल कालेजों की संख्या आज भी अपर्याप्त है. उच्च गुणवत्त के स्कूल तो सिर्फ निजी सेक्टर के पास ही हैं
उपरोक्त स्तिथि तो तब है जब चालीस प्रतिशत बच्चे आज भी पढने जाते ही नहीं. सिर्फ पंद्रह प्रतिशत बच्चे ही हाई स्कूल तक पहुँच पाते हैं और सात प्रतिशत किशोर ही स्नातक बन पाते हैं .उच्च शिक्षा पाने वाले युवकों का प्रतिशत तो और भी कम होगा .

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