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बरस रहा है रिम झिम सावन , फिर तुम मिलने आजाओ

भावों को शब्द रूप
भावों को शब्द रूप
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बरस रहा है रिम झिम सावन , फिर तुम मिलने आजाओ
ठंडी ठंडी रातों में ,तपिश प्यार की दे जाओ
प्यासे हैं हम भरा है गागर ,तुम गगरी छलका जाओ
अब तन्हा नहीं कटती रातें, तुम तन्हाई मिटा जाओ

हाथों से स्पर्श करो और ,मन में दीप जला जाओ
आँखों से तुम गीत पढ़ो और ,मुझको मीत बना जाओ
होठों से कुछ और करेंगे ,आँखों से तुम बात कहो
मैं समझूं आँखों की भाषा ,तुम आँखों से काव्य गढो


मैं तुमको बाहों में भर लूं ,तुम मेरा प्रतिरोध करो
खेलूँ तेरी जुल्फों से तो ,तुम मुझसे गतिरोध करो
आत्मसमर्पण तुम करदो और ,मैं तुमको ले सेज चढूं
मूक सहमति तेरी पाकर ,मैं फिर से नई मूर्ति गढूं

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