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ये भी तो भ्रष्टाचार है !

भावों को शब्द रूप
भावों को शब्द रूप
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अक्सर हम समाचारों में पढते हैं की रसूख वाले नेता या मंत्री अपने क्षेत्र में विशेष सुविधाएँ प्रदान करने में सफल हो जाते हैं |जितना बड़ा नेता उतनी ही विकास कार्यों में मनमानी |सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं पर देश या प्रदेश की जनता का समान अधिकार है क्यूंकि कर (टैक्स ) का निर्धारण क्षेत्र या जनप्रतिनिधि को देख के नहीं किया जाता |अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ती और सुरक्षित राजनीतिक भविष्य के लिए किसी क्षेत्र को विशेष सुविधाएँ देना किसी भी तरह से सही नहीं कहा जा सकता ,ये भी एक तरह का राजनीतिक भ्रष्टाचार ही है |किसी मुख्यमंत्री या मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से अधिक क्यूँ ?हजारों किलोमीटर में फैले उत्तर प्रदेश में रायबरेली में ही एम्स जैसा अस्पताल क्यूँ जबकि १०० किमी से भी कम दूरी पर लखनऊ में उसी स्तर की सुविधा उपलब्ध है |ये जनता की कमाई को अपने स्वार्थों की पूर्ती के लिए लुटाया जा रहा है |
जिस तरह से अपनी विचारधारा को प्रचारित करने के लिए करोडों रूपये पार्कों पर लगाना गलत है उसी तरह से एक मंत्री या मुख्यमंत्री का किसी विशेष क्षेत्र के लोगों को ही अधिक सुविधा पहुचाना गलत है जिसपर पूरे प्रदेश की जनता का सामान अधिकार है |प्रत्येक जनप्रतिनिधि का ये कर्तव्य है की वो अपने क्षेत्र के लिए अधिक से अधिक सुविधाएँ उपलब्ध कराये किन्तु इसका ये मतलब नहीं होना चाहिए की प्रदेश का मंत्री ये भूल जाये की उसका क्षेत्र सम्पूर्ण प्रदेश है और वो धर्म ,जाति और क्षेत्र के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता |
आखिर क्यूँ वह सड़क पहले बन जाति है जिस पर कोई रसूख वाला व्यक्ति रहता है जबकि वह सड़क बाद में बनती है जिससे जादा से जादा जनता को सुविधा मिल सकती है |विकास की विस्तृत योजना का महत्वपूर्ण आधार उससे प्रभावित होने वाली जनता के संख्याबल पर निर्भर करना चाहिए| इस व्यवस्था को सुधारने के लिए विकास के व्यापक और उचित मापदंड बनाने की आवश्यकता है
आखिर कैसे किसी प्रदेश की मुखिया जनता का लगभग ५० लाख रुपया आईपीएल विजेता टीम के स्वागत में खर्च कर सकती है जबकि उस प्रदेश में जनता को मूलभूत सुविधाएँ नहीं मिल पा रही हैं |
हर विधायक या सांसद का मंत्री बनपाना संभव नहीं है और किसी मंत्री या मुख्यमत्री का सामान्य विधायक की तरह व्यवहार करना भी उचित नहीं है |जनप्रतिनिधि को और अधिक उत्तरदायी बनाये जाने की आवश्यकता है जिससे उसको मिलने वाले पद और शक्तियों का दुरूपयोग ना हो सके |विकास का मापदंड सम्पूर्ण प्रदेश और देश के लिए समान ही होना चाहिए तभी संविधान में मिले समानता के अधिकार की सार्थकता  होंगी |

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