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“सोशल मीडिया – आम आदमी की खास आदमी तक पहुचती आवाज “jagran junction forum

भावों को शब्द रूप
भावों को शब्द रूप
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सोसिअल नेटवोर्किंग बन गई देखो एक जंजाल
कुछ कि कुर्सी छिन गई, कुछ दिखते बेहाल
कुछ दिखते बेहाल ,माँग रोक की करते
स्वार्थों के लिए अतिक्रमण आजादी पर करते

सोशल मीडिया एक ऐसा ज्वलंत विषय बन गया है जिस पर बहस होनी ही चाहिए |कोई भी ऐसा संचार का साधन जो की आम जनमानस को जोड़ने का काम करे और लोगो तक सूचना का प्रसारण करे वो किसी भी तरीके से गलत नहीं हो सकता |सिक्के के दो पहलू तो हमेशा ही रहेंगे ,वैसे ही सोशल मीडिया के भी कुछ लाभ और हानि हैं |आज के व्यस्त जीवन में बौद्धिक वर्ग के लिए सोशल मीडिया संचार और सूचना का सबसे बड़ा साधन बनने की तरफ अग्रसर है |अपने स्वार्थों की पूर्ती और रक्षा ये साधारण मानव की प्रकति है ,कुछ ऐसे ही स्वार्थी लोग सोशल मीडिया पर प्रतिबन्ध लगाने की माँग कर रहे हैं |
हम अगर बीते कुछ वर्षों पर ध्यान दे तो सोशल मीडिया विश्व भर में क्रांति का अग्रदूत रहा है |भारत के परिपेक्ष में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है |फिर चाहे वो अन्ना का अनशन हो ,बाबा रामदेव का आंदोलन और उसका दमन सभी को सोशल मीडिया ने बौद्धिक वर्ग तक पहुचाया |
लुप्त होते भारतीय मूल्यों का पुनः उत्थान जिस तरह से सोशल मीडिया की वजह से हो रहा है वो सराहनीय है|भारतीय इतिहास कि त्रुटियों पर जितना मुखर आज सोशल मीडिया है उतना सूचना का कोई और माध्यम नहीं है और इसका प्रमाण ये है कि आज २३ मार्च(शहीद दिवस) महज एक साधारण दिन नहीं रह गया है लोग उस दिन वीर शहीदों को विशेष रूप से स्मरण करते हैं और उनसे जुडी जानकारी प्राप्त करते हैं |जो देश अपने इतिहास से सबक नहीं लेता वो बिनाश कि तरफ अग्रसर होता है,ऐसे में सोशल मीडिया हमको अपने इतिहास कि जानकारी देके बहुत कुछ सिखाता भी है |
सोशल मीडिया न्याय पाने और सही विषय पर जनसमर्थन प्राप्त करने का एक सुलभ साधन बनकर उभरा है,ऐसे में इसका विरोध बहुत से प्रश्न खड़े करता है |हाल में ही सी.डी. प्रकरण में एक महानुभाव का नाम आया माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने सी.डी. के प्रकाशन पर रोक लगा दी और तर्क दिया गया कि इसमें उनकी छवि बिगाड़ने का प्रयास किया गया है |मैं किसी के व्यक्तिगत जीवन पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा परन्तु उसमे वो महानुभाव महिला वकील से जो वादा कर रहे थे वो तो जनता तक पहुचना ही चहिये था |सोशल मीडिया के माध्यम से जब जन साधारण तक ये बात पहुच गई तो महानुभाव सोशल मीडिया पर नियंत्रण कि माँग करने लगे |
भ्रष्टाचार और सरकार कि गलत और सही योजनाओं का प्रचार जिस गति से सोशल मीडिया के माध्यम से हो रहा है और जनमानस को जागरूक कर रहा है वो सराहनीय है |
सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ असामाजिक तत्व भी सक्रिय हैं ऐसे में इस पर नियंत्रण जरूरी है किन्तु ये ध्यान रखने कि जरूरत है कि ये आम आदमी कि ,सरकार और समाज की बुराइयों के विरुद्ध आवाज को दबाने का प्रयास ना बन जाये |ये बौद्धिक लोगों को जोड़ने का माध्यम हैं जो भारत की अखंडता और उसकी समृधि के प्रति संवेदनशील हैं|
सोशल मीडिया आम जन मानस की वो आवाज है जो खास लोगों तक आसानी से पहुच रही है |

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