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मुझे गम को भुलाना नहीं आया

uljhe dhaage
uljhe dhaage
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मुझे गम को भुलाना नहीं आया,
दिल के दर्द को छिपाना नहीं आया,
जो लटक रहा है, उसे गिराना नहीं आया,
जो गिर गया, उसे दबाना नहीं आया,
जो दब गया है उसे उठाया तो पाया,
समोसे के टूटने में चटनी की क्या है माया!

मुझे हुस्न में डूबना नहीं आया,
दिल ही दिल में पकौड़े सा खिलना नहीं आया,
खिल गया तो रस में मिलना नहीं आया,
मिल गया तो निकलना नहीं आया,
निकलने पर आज मैंने पाया,
रस से निकलने पर रसगुल्ले ने क्या पाया!!

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