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पुलिस महानिदेशक द्वारा स्वतन्त्रता दिवस-2014 के अवसर पर ध्वजारोहण

aahuti
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saurabh dohare v

पुलिस महानिदेशक द्वारा स्वतन्त्रता दिवस-2014 के अवसर पर ध्वजारोहण
दिनांक 15.08.2014 को स्वतन्त्रता दिवस की 67 वीं वर्षगांठ के अवसर पर पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 श्री आनन्द लाल बनर्जी द्वारा मुख्यालय के प्रागंण में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। इसके उपरान्त पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 द्वारा मुख्यालय में कर्तव्यरत प्लाटून कमाण्डर श्री राज कुमार उपाध्याय, एस0आई0(एम)/स्टेनो श्री मेराजुल हसन, आरक्षी चालक श्री रमेश चन्द्र, आरक्षी श्री विनोद कुमार द्विवेदी तथा उ0नि0 श्री राकेश प्रताप सिंह, एसटीएफ को उत्कृष्ट सेवा सम्मान चिन्ह एवं एस0आई0(एम)/स्टेनो श्री विनय कुमार श्रीवास्तव, एस0आई0(एम)/स्टेनो श्री रमेश कुमार सिंह, ए0एस0आई0(एम) श्री जीतेन्द्र कुमार द्विवेदी, उ0नि0 श्री राजीव चतुर्वेदी व आरक्षी चालक श्री प्रमोद कुमार को सराहनीय सेवा सम्मान चिन्ह प्रदान कर अलंकृत किया गया।
पुलिस महानिदेशक द्वारा उपस्थित अधिकारियों व कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुये प्रदेश पुलिस के 04 पुलिस कार्मिकों को वीरता के लिये पुलिस पदक, 06 पुलिस कार्मिकों को विशिष्ट सेवाओं के लिये राष्ट््रपति का पुलिस पदक तथा 72 पुलिस कार्मिको को दीर्घ एवं सराहनीय सेवाओं के लिये पुलिस पदक तथा 50 अराजपत्रित पुलिस कर्मियों को उत्कृष्ट सेवा सम्मान चिन्ह एवं सराहनीय सेवा सम्मान चिन्ह पाने वाले 200 अराजपत्रित पुलिस कर्मियों को बधाई दी गयी।
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि वर्तमान परिवेश में पुलिस से समाज को अपेक्षाएं हैं । अतएव हमें स्वयं को जनता की सेवा के प्रति समर्पित करना होगा । आम जनता पुलिस से अपेक्षा करती है कि वह अपने अच्छे आचरण एवं व्यवहार से जनता की सेवा करे तथा समाज को सही दिशा देकर जनमानस का विश्वास अर्जित करें । आज सार्वजनिक क्षेत्र में अनैतिकता, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, नक्सलवाद तथा कदाचार हमारे लिये चुनौती बन रहे हैं । इस समस्या से तभी मुक्ति मिल सकती है जब हम अपने कार्य एवं आचरण में पारदर्शिता लायें तथा जनमानस की समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनें । विशेष रूप से बच्चों, महिलाओं एवं वृद्ध जनों की समस्याओं के निराकरण के प्रति अधिक जागरूक रहें। उन्होेंने कहा कि समाज में शांति एवं सद्भाव बनाये रखने का उत्तरदायित्व पुलिस पर है तथा अपराध नियंत्रण एवं शांति व्यवस्था बनाये रखना हमारा प्रमुख कार्य है । हम सभी राष्ट्रहित में निरन्तर जागरूक रहकर आतंकवादी एवं विघटनकारी तत्वों से सख्ती से निपटें और जन समस्याओं के प्रति और अधिक संवेदनशील होकर, समाज के कमजोर वर्ग के हितों की रक्षा में सक्रिय योगदान दें ।
इस अवसर पर श्री एच0सी0 अवस्थी, अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध, श्री अरूण कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक, रूल्स एवं मैनुवल, श्री मुकुल गोयल, अपर पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था, श्री भवेश कुमार सिंह, अपर पुलिस महानिदेशक, कार्मिक, श्री विश्वजीत महापात्र, अपर पुलिस महानिदेशक, मानवाधिकार, श्री बी0पी0 जोगदण्ड, पुलिस महानिरीक्षक एवं पुलिस महानिदेशक के सहायक, श्री वितुल कुमार, पुलिस महानिरीक्षक स्थापना, श्री सुजीत पाण्डेय, पुलिस महानिरीक्षक, एसटीएफ, श्री अमरेन्द्र कुमार सेंगर, पुलिस महानिरीक्षक कानून व्यवस्था, श्री राम कुमार पुलिस महानिरीक्षक प्रशासन, श्री ए0सतीश गणेश, पुलिस महानिरीक्षक लो0शि0 श्री चित्रांगद, पुलिस महानिरीक्षक मानवाधिकार, श्री विजय भूषण, पुलिस अधीक्षक मानवाधिकार, श्री नित्यानन्द राय, अपर पुलिस अधीक्षक मुख्यालय एवं जन सम्पर्क अधिकारी सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारी व कर्मचारीगण मौजूद रहे।
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यहाँ का अनुशासन और इनकी देश के प्रति भक्ति देखकर सर नतमस्तक हो गया मुझे ये ज्ञात है कि कुछ लोगों को मेरी ये बात बुरी भी लग सकती है लेकिन मुझे जो नजर आ रहा है मैं उसी को लिखूंगा कभी कभी सोचने पे मजबूर हो जाता हूँ कि आज देश में कानून की जो स्थित है वह किसी से छुपी नहीं है देश का हर कोना क्रूर अपराधों से तड़प रहा है और इस हालत में अगर देखा जाए तो उत्तर-प्रदेश में कानून की हालत अन्य स्थानों की अपेक्षा ठीक है अगर आज यदि देश के किसी पुलिस विभाग की वरीयता निश्चित करनी हो तो सबसे पहले स्थान पर उत्तर-प्रदेश पुलिस का नाम आना चाहिए उत्तर प्रदेश पुलिस के ये बहादुर नौजवान दिन-रात मेहनत करने से नहीं घबराते। कभी-कभी कुछ अराजक तत्वों के कारन प्रदेश में ऐसे मामले हो जाते है जिनकी संवेदनशीलता को देखते हुए प्रदेश पुलिस अपनी कई टीमें गठित कर बखूबी अपने कार्यों को अंजाम देती है किसी ब्लाइंड केस को इस तरह दिल से सुलझाने की ऐसी मिसाल बहुत कम देखने को मिलती है। अनगिनत बलिदानों के बाद हमको यह आजादी मिली है। श्जय हिन्दश् सुनते ही इन जवानों को अपने कर्तव्य का भान होने लगता है कोई भी भारतीय सैनिक देश के किसी भी हिस्सेे का हो, किसी भी धर्म का हो और चाहे किसी भी रैंक का हो, यह एक शब्द उनके बीच की सारी दूरियों को मिटा कर उन्हें एक कर डालता है। हमारे देश के रक्षक चाहें वो पुलिसकर्मी हों या सरहद के रखवाले इन सबके लिए श्जय हिंदश् का मतलब सिर्फ एक ही धर्म है देश की सेवा और इसकी रक्षा के लिए हर पल तैयार रहना। देश की सलामती रहे और सुरक्षा में अपनी जान भी गंवानीं पड़े तो पीछे नहीं हटेंगे, श्जय हिंदश् का नारा हर पल बस इसी बात की इन्हें याद दिलाता रहता है।
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हम विश्व के सबसे बड़े गणतांत्रिक राष्ट्र के नागरिक हैं, सोने पे सुहागा ये है कि संसार का श्रेष्ठतम मानव निर्मित संविधान हमारे देश का है ये बात भी सौ प्रतिशत सही है कि आज सबसे समृद्ध संविधान हमारा ही है बात चाहें नीति निर्देशक तत्वों की हो या मौलिक अधिकारों की हर जगह हम अपने आपको बेहतर पाते हैं देखा जाये तो इतनी आजादी दुनिया के किसी भी देश ने अपने नागरिकों को नहीं दी है संविधान ने अवसर सबको दिया है। जब हमारे भारत देश के नागरिक शिक्षा, तकनीकी, कला या खेल आदि के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर कोई महान उपलब्धि प्राप्त करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर उनका सम्मान किया जाता है, उस समय बहुत सारे झंडों के बीच में जब भारत के राष्ट्रगान के साथ हमारा तिरंगा शान के साथ सर ऊँचा कर के, झूम के लहराता है, तब उस दृश्य को देख कर समूचे भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक को जो रोमांच होता है, मेरे विचार से यही तिरंगे का वास्तविक सम्मान होता है। आज के दौर का युवा आजादी को तो अपना हक मानता है लेकिन देश के प्रति अपने कर्तव्यों को वह तवज्जो नहीं देता और फिर कहता है कि प्रेदश में अराजकता फैली है चारों और लूटपाट मची है पर क्या कभी आपने सोचा हैं अपने दायित्वों के बारे में? यदि हम सब देश और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करें तो क्राइम अपने आप ही कम हो जाएगा। अतः आप लोगों को समझना चाहिए कि पुलिस समाज से अलग नहीं है, एक पुलिस वाला भी एक बाप है, एक बेटा है, एक भाई है, उसकी भी रगों में लाल रंग का वही खून दौड़ रहा है जो आपकी नसों में है मेरी समझ से अगर कहीं कोई कमी है तो वो है आवाम और पुलिस में आपसी ऐतबार की, इसलिए सबसे पहले पुलिस और समाज को आपस में ये तालमेल बैठाना होगा। पुलिस और आवाम को मिलकर ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिससे इस तरह की घटनाओं में कमी आये आवाम को चाहिए कि पुलिस को अपने समाज का ही हिस्सा समझें ना कि डरें और इसके साथ ही अगर हमारी पुलिस अपनी मेहनत और जांबाजी से जब कोई अच्छा काम करे तो आवाम को चाहिए कि पुलिस के उन कार्यों की प्रशंसा करें ना कि पूर्वाग्रहों से ग्रसित होकर आप पुलिस पर आरोप ही आरोप थोपते रहें। मैंने अपने परिवार में ये देखा है मैं जानता हूँ कि पुलिस प्रशासन में रहकर कितनी मुश्किलों से गुजरते हुए ये लोग कितनी बखूबी से अपने कार्यों को अंजाम देते हैं रात-रात भर जाग कर पूरे शहर का दौरा करना कभी भी किसी भी समय आवाम की हिफाजत के लिए तत्पर रहना कितना मुश्किल है हम और आप घरों में चैन से रात की नींद लेते हैं वो इन्ही लोगों की बदौलत मिलती है। इन लोगों की कुर्बानी आवाम को क्यों नजर नहीं आती है चन्द भ्रष्ट अधिकारियों की बजह से आप लोग इन्हें एक ही तराजू में तौल देते हैं हर अधिकारी भ्रष्ट नही होता ये तो आप लोगों को मानना पड़़ेगा । जहाँ तक मैं समझता हूँ कि श्वृक्ष अपने फल के द्वारा जाना जाता है, और इंसान अपने कर्मों सेश्
तो आइये इन्ही सैनिकों की तरह हम सब भी शपथ लें कि हम किसी सरकारी दफ्तर में अपना काम जल्दी कराने के लिए कभी रिश्वत नहीं देंगे। सड़क पर चलते हुए कोई नियम तोड़ने पर ट्रैफिक पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद हम कांस्टेबल की जेब में चंद नोट सरकाकर बच निकलने की जुगाड़ कभी नही करेंगे। दहेज देने या लेने वालों का विरोध करेंगे, छोटी बच्चियों और महिलाओं पर बुरी नीयत नहीं रखेंगे, और बुरी नियत रखने वालो को कानून के हवाले कर देंगे। अफवाहें और सांप्रदायिक तनाव फैलाने वालों का काॅलर पकड़कर उनसे ये कहेंगे कि ऐसा क्यों करते हो क्या ये देश तुम्हारा नहीं है या तुम इस देश के वाशिंदे नहीं हो ? बहुत से ऐसे सवाल हैं। इनके जवाब में बहुत से लोग यह भी कह सकते हैं कि यह क्या हमारा काम है ? ये काम तो सरकार, पुलिस और अदालतों का है अगर आप ऐसा सोचते हैं तो गलत सोचते हैं आप भी अपने दायित्वों को पहचानिए और अपने देश की प्रगति में बाधक नहीं साधक बनिए।
सौरभ दोहरे
विशेष संवाददाता

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