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चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय या मेरठ विश्विद्यालय उत्तर भारत का सबसे बड़ा विश्विद्यालय है जिसके अंतर्गत एक सरकारी मेडिकल कोलिज से लेकर अपना इंजीनियरिंग कोलिज तथा कई प्राईवेट डेंटल मेडिकल कोलिज भी हैं / इसके अलावा कई डिग्री कोलिज इसके अंतर्गत हैं जिनसे प्रति वर्ष , लाखों की संख्या में छात्र,अपने रुचिकर विषयों से अपना भविष्य उज्जवल बनाना चाहते हैं/ कहने को छात्र ही भारत का भविष्य हैं परन्तु अगर छात्र का ही भविष्य खराब करा जायेगा तो देश का खराब होना ही है / यह एक ऐसा विश्विद्यालय है जहाँ इस समय कोई कुलपति ही नही है ,यह एक ऐसा विश्विद्यालय है जिसका कुल सचिव ही सदैव संदेह के घेरे में रहता है/ कभी उत्तर पुस्तिकाओं की गलत जांच,कभी पेपर आउट प्रकरण ,कभी सेशन लेट ,कभी मास्टरों की हड़ताल,कभी छात्रों की हड़ताल,इन सभी बातों की वजह से यह यूनिवर्सिटी सदैव चर्चा में रहती है/ यह ऐसी यूनिवर्सिटी है जिसके अंतर्गत आने वाले डिग्री कोलिजों में मास्टर सबसे कम पढ़ाने में विश्वास रखते हैं/ कई डिग्री कोलिजों में तो छात्रों ने अपने मास्टरों की शक्ल तक नही देखी है,नाम तक का पता नही ,बस प्रेक्टिकल के दिनों में ही आमना सामना होता है/ खैर इतना सब होने के बाबजूद भी कोई भी बुद्धिजीवी,मीडिया ,सीनियर जर्नलिस्ट,समाज सेवी,धर्माधिकारी,अपने सामाजिक दायित्व को निभाने को तैयार नही / कोई भी जागरूक मतदाता से लेकर कोई भी उपरोक्त समाज सेवी संगठन यह कहने को तैयार नही कि यूनिवर्सिटी का शिक्षण सेशन समय पर चले और समय पर परीक्षा होवे और समय पर रिजल्ट आवे / उत्तरप्रदेश की मुख्यमत्री को तो आखिर प्रदेश की जनता से कोई मतलब ही नही है क्योंकि उनका पढ़ाई लिखाई से क्या वास्ता और उनके वोटरों का भी ? कुछ वर्ग तो ऐसे हैं जिनको बिना ज्ञान के भी नौकरी मिल जायेगी परन्तु कुछ वर्ग ऐसे हैं जो पढ़ लिखने के बाद भी नौकरी को धक्के खायेंगे / प्रदेश और देश की राजनीति को प्रभावित करने वाली इस यूनिवर्सिटी को भविष्य ही दांव पर लगा हुआ है ,जितने भी कुलपति यहाँ आये सबके पीछे कोई ना कोई काण्ड अवश्य जुड़ा रहा सबने ही छात्रों के भविष्य बर्बाद करने में कोई कसर नही छोड़ी/ स्नातक परीक्षा पास करने के बाद कई प्रतियोगिता परीक्षाओं में छात्र सम्मिलित होते हैं ,जिनमे स्नातक स्तर के अंक देखे जाते हैं ,जब यूनिवर्सिटी में परीक्षा ही नही हुई तो अंक कहाँ से मिलेंगे,और स्नातोकोत्तर शिक्षा प्रवेश परीक्षा प्रतियोगिताएं में भी छात्र बैठने से वंचित भी रह जाते हैं/ कहने को तो जून के अंत तक रिजल्ट आ जाने चाहिए परन्तु जुलाई में भी आ जाय तो गनीमत है / कोई भी जिम्मेदार नेता ,कोई भी जिम्मेदाए अखबार,कोई भी जिम्मेदार सामाजिक संगठन छात्रों के बर्बाद होते भविष्य के प्रति चिंतित नही है / राहुल गाँधी ने क्या कहा ,अन्ना ने क्या कहा,रामदेव ने क्या कहा ,या सोनिया या मनमोहन ने क्या कहा,मायावती ने क्या कहा,?आदि इस पर तो बहुत चर्चा होगी परन्तु इन्होने छात्रों के भविष्य को चौपट कर दिया इस पर कोई चर्चा या बहस नही ,आखिर क्यों ? है कोई जबाब !!!!,आखिर क्यों ?उत्तर कौन देगा ?छात्र बेचारा परेशान है,उसके मातापिता परेशान हैं ,परन्तु किसको चिंता होगी ?सबको राजनीति की पड़ी है ,छात्रों को राजनीति में घसीटने वालों ,इन छात्रों को बाद में रोटी कौन देगा ? नेता जीतकर मंत्री बन जायेंगे और इनको जिताने वाले छात्र नौकरी ना मिलने पर अपराधी बन जायेंगे? आखिर कौन हुआ इनकी जिंदगी बर्बाद करने वाला ? बहुत जीवंत ज्वलंत प्रश्न है,जो आज उत्तर चाह रहा है, क्या उत्तर मिलेगा ?उत्तर है ही नही क्योंकि प्रश्न ही स्वयं उत्तर है !!!
सौरभ दुबलिश
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