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अल कायदा का प्रमुख अयमान अल जवाहिरी इन दिनों खासे दवाब में हैं…सीरिया और इराक़ में उसके संगठन को ISIS निगल चुकी है..बगदादी ने अपने संगठन को पूरी तरह फ़ौजी तरीके से खड़ा किया है..तमाम तेल के कुएं और रोज करीब ८,१० करोड़ की आमदनी,इराक़ के बैंकों से लूटा सोना और डॉलर उसकी ताकत में इजाफा कर रहे हैं.
भारत और बर्मा में जवाहिरी के ”जेहाद”के ऐलान के पीछे कहीं न कहीँ इन हत्यारे ”गिरोहों”के बीच ”वर्चस्व”की जंग है….खुद को सबसे बड़ा ”जेहादी”और मुजाहिदीन साबित करने की होड़.अब ये तमाम दुनिया को तय करना ही पडेगा की ”जेहाद”की अवधारणा कहाँ से निकली है?क्यों उसे आदेश मानते हैं कुछ लोग?उस विचार से लड़ने के लिए दुनिया के पास क्या तार्किक आधार हैं…और जिस तरह से हिटलर के नस्लवाद से लड़ा गया ..ये भी बिलकुल वैसा ही मामला है … नस्लवाद अपने को श्रेष्ठ और दूसरों को हेय समझने की बुनियाद पर खड़ा होता है…जेहाद भी बिलकुल उसी विचार पर टिका है..एक वो लोग जो मानते हैं और दूसरे वो जो नहीं मानते न मानने वालों को कब्जे में और काबू में लेना ,उन्हें बंधक बनाना और न मानने वालों की सरकशी को मान्यता, एक धार्मिक अवसर और कृत्य है..जिसे करने पर ”जन्नत”नसीब होती है!!!!
जब सभ्य राष्ट्र आतंक के विरुद्ध जंग का ऐलान करते हैं तो उन्हें वैचारिक स्तर पर मध्ययुगीन बर्बरता और उसके ”स्रोत”को भी देखना होगा…जहाँ से इन जेहादियों को ऊर्जा मिलाती है…जब कोई साहित्य ऐसी चीजों से भरा हो जहां ”सरकशी”जायज हो,न मानने वालों से युद्ध कर्तव्य हो तब केवल हथियारों के दम पर नहीं बल्कि इस तरह के लोगों के दिमाग पर पड़े अज्ञान के आवरण और कट्टरता के खिलाफ वैचारिक आधार मजबूत करना होगा ताकि नयी और कच्ची उम्र के नौजवान जो ईश्वर ,दार्शनिकता और अध्यात्म से अनजान है वो इन कट्टरपंथियों के जाल में न फंसे!
चौंकाने वाले आंकड़े और समाचार साउदी अरब से आये हैं …एक रिपोर्ट बताती है की साउदी अरब ने पिछले दो दशक में कट्टरपंथी”वहाबी”प्रचार में करीब ६ लाख करोड़ रूपये अब तक खर्च किये हैं..वहीं एक सर्वे बताता है की ९२%साउदी नागरिक इस समय बगदादी के समर्थन में हैं!!!मदीना स्थित प्रोफेट की याद में बनी मस्जिद के इमाम ने ISIS के आतंकवादियों को मुजाहिदीन कहा है???वहीं साउदी सरकार का एक वर्ग उन तमाम निशानियों को ”ध्वस्त’ आना चाहता है जो प्रतीक पूजा को बढ़ावा देतीं हैं…जिसमें मदीने में प्रोफेट का मक़बरा भी है!!!!ये सब बातें इस्लामी दुनिया में चल रही गहरी उथल पुथल की और इशारा कर रहीं हैं जो आने वाले समय में खुद इस्लाम के लिए और बाकी दुनिया के लिए खतरे का सबब है…वास्तविकता ये है की साउदी सरकार और उसके शाह किंग अब्दुल्लाह भी इस समय गहरे दवाब में हैं..वो नहीं चाहते जिस विचार को प्रचारित करने में उन्होंने लाखों करोड़ खर्च किये सरताज बनने के लिए उसे कोई और चुनौती दे!सऊदी राजवंश ”अल-साउद ”केवल ३०० साल पहले अपने देश की सत्ता पर मौलाना इब्न अब्द अल वहाब और उनके परिवार के साथ काबिज हुआ है.
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