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बात कुछ जँची नहीं!

smriti
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बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मोदी जी ने ६० साल बनाम ६० महीने के जुमले को उछालते हुए तंज कसा की ६० साल में कुछ हुया नहीं हमसे ६० महीने का हिसाब माँगा जा रहा है…ये सब बातें चुनाव प्रचार तक तो चलती हैं लेकिन अब उन्हें प्रमाणिक रूप से बोलना होगा.क्या पिछले ६७ वर्षों में वास्तव में कुछ नहीं हुआ?क्या आजादी नहीं मिली?संविधान नहीं बना?कार्यपालिका,विधायिका और न्यायपालिका ,चुनाव आयोग,योजना आयोग,पंचायती राज और ऐसी तमाम संस्थाएं इस देश में नहीं खड़ी हुईं?अब मोदी जी प्रधानमंत्री हैं उनकी बातों और भाषणो का अध्ययन भी होगा …इतिहास और राजनीति के छात्र विश्वविधालयों में राजनैतिक इतिहास पर शोध करते हुए हर बात को गंभीरता से पढ़ेंगे…और वो चीजें इतिहास में अंकित भी होंगी!
इसरो,भाभा परमाणु केंद्र,हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स,सी.डी .आर.आई,एम्स,तमाम विश्वविधालय,बड़े बड़े सार्वजनिक उपक्रम,चन्द्र और मंगल पर भारत के कदम,बांग्लादेश का निर्माण,पहला पोखरण परमाणु परिक्षण,शिमला समझौता,सार्क और ब्रिक्स का गठन और न जाने कितनी चीजें यहाँ घटित हुईं और वो भी कांग्रेस के समय में जिस प्लेटफॉर्म को लेकर अब मोदी जी आगे चल रहे हैं…और तो और जिस आर्थिक नीति को वो आगे बढ़ा रहे हैं उसकी बुनियाद भी गैर बीजेपी सरकार के समय रखी गयी,लिहाजा अब सोच समझ कर बोलने की बारी है चुनाव प्रचार ख़त्म हुआ!
और लगभग यही बात उनके प्रियपात्र और बीजेपी के नवनियुक्त अध्यक्ष अमित शाह ने कही की देश को कांग्रेस मुक्त करना है!सत्ता पक्ष देश की मुख्य विपक्षी पार्टी के सफाये की बात करे ये भी ठीक नहीं….देश को कांग्रेस मुक्त करने के लिए आपको विशुद्ध कांग्रेसी महात्मा गांधी,सरदार पटेल,संविधान का निर्माण,तिरंगा जिसे पहली बार कांग्रेस के अधिवेशन में लहराया गया….इस सब चीजों को और ऐसी ही तमाम बातों को भी लोगों की स्मृति से हटाना होगा ,क्या ये मुमकिन है???अगर कांग्रेस ख़त्म हो गयी तो क्या मैदान लालू,मुलायम,मायावती,अम्मा,ममता,शिबू सोरेन,नीतीश,हमारे वामपंथी भाई इन सब के लिए छोड़ देने की वकालत करते हुए एक बार सोचना नहीं चाहिए की आप क्या बोल रहे हो…हाँ अगर इसके बजाय ये कहा जाए की देश को एक सशक्त राष्ट्रीय राजनैतिक विकल्प की हमेशा जरुरत है और उसका स्वागत है तो ये बात बीजेपी जैसी विचारशील पार्टी के लिए और जो पार्टी हिंदुत्व की उदारता,मैत्री भाव और दीनदयाल जी के एकात्म मानव वाद पर आधारित है ,एक गरिमापूर्ण आचरण होता…अगर देश हित सर्वोपरि है तो देश में सशक्त विपक्ष का होना भी जरुरी है!बीजेपी को समझना होगा की लोग कांग्रेस से नहीं बल्कि उस पर एक परिवार के नियंत्रण से त्रस्त हैं ,चाटुकारिता और कोटरी से त्रस्त हैं ,अलोकतांत्रिक गठन से त्रस्त हैं!
पार्टी जिस सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की बात करती है …पाकिस्तान को सबक सिखाना हो या सोमनाथ का भव्य निर्माण या राम लला का प्रकटीकरण और जन्मभूमि का शिलान्यास या नरसिम्हा राव के दौर में बाबरी का ध्वंस.. इन सब से कांग्रेस भी जुडी रही है…ये बात और है की अब सोनिया के नेतृत्व में कांग्रेस सेकुलरिज्म के नाम पर हिन्दू विरोधी नजर आती है….वरना इंदिरा और संजय के दौर की कांग्रेस भी कम नहीं थी बल्कि जनसंघ से चार हाथ आगे ही थी!इस लिए अमित जी अपने पत्ते होशियारी से खेलो ..कहीं कांग्रेस एक बार फिर से ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’की राह पकड़ गयी तो आपके ऊपर भगवा खेमे का दवाब बढ़ जाएगा…और पाकिस्तान से सम्बन्ध,बांग्लादेशी घुसपैठिये,कश्मीर,राम जन्मभूमि और सामान नागरिक संहिता और ढेर सारी बातें आपके सामने होंगी और आप इनसे कन्नी काटते नजर आओगे क्योंकि फिलहाल सत्ता है!

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