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सरदार के बहाने!

smriti
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सरदार पटेल से मोदी जी के उमड़े प्रेम को लेकर वैचारिक जगत में हलचल है.लोग तरह तरह की कयास लगा रहे हैं,एक गांधीवादी और निष्ठावान कांग्रेसी चरित्र का महिमा मंडन क्या इस लिए है की वो गुजरात से थे?या ये गांधी परिवार की महिमा को ख़त्म करने का प्रयास है?क्या ये उत्तर भारत की महत्वपूर्ण बिरादरी ‘कुर्मी’ को साधने के लिए है?बिहार में इसी जाति के नीतीश कुमार से व्यक्तिगत हिसाब पूरा करने की मंशा है…या फिर ‘काँग्रेस मुक्त’भारत की आड़ में ‘संघ मुक्त भारत’ की योजना है.अथवा ‘हिंदुत्व’मुक्त संघ की योजना है?
लोग जब सरदार पटेल और नेहरु के बारे में जानेंगे तो उन्हें पता चल जाएगा की हिन्दू महासभा और संघ के बारे में पटेल ने नेहरु को क्या बताया था,किस प्रकार उन्होंने गुरु गोलवरकर को जेल में डाला,संघ के २५ हजार कार्यकर्ता जेल गए,किस तरीके से सरदार पटेल ने संघ पर दवाब बनाया की उसके स्वयं सेवक काँग्रेस की विचारधारा को अपना कर ‘हिन्दू राष्ट्रवाद’को त्याग दें.
तस्वीर का एक दूसरा पहलु भी है,हिन्दू महासभा,जन संघ के शुरूआती दिनों में उसके सबसे बड़े सहायक वो राजे-रजवाड़े थे,जिन्हें नेहरु और सरदार भविष्य की राजनीति के लिए खतरनाक मानते थे,क्योंकि पुराने जमींदार जनता के बीच अच्छी हैसियत रखते थे,और नए लोकतान्त्रिक जमीदार बनने की बड़े नेताओं की महत्वाकांक्षा में बाधक बन सकते थे.जन संघ के पुराने जमींदारों के जुड़ने की ये राजनीति असली वजह थी…और फिर हिंदुत्व और राष्ट्रवाद तो था ही.यही जन संघ की कामयाबी थी…जिसे तब बनाया गया जब सरदार पटेल ने हिन्दू महासभा और संघ पर दवाब डाल कर उनकी राजनैतिक भूमिका पर प्रतिबन्ध लगाकर उनसे ये मनवा लिया की वो केवल सांस्कृतिक संगठन बन कर रहेंगे!
इसी लिए जन संघ की भूमिका तैयार हुयी,आज की भाजपा उसी का विस्तार है,अब जो मोदी कर रहे हैं,वो कभी बलराज मधोक के साथ हो चुका है.अब लगता है बलराज मधोक की जगह पूरा संघ परिवार है…जो कहीं न कहीं मोदी की सेक्युलर और एक अंतर्राष्ट्रीय नेता बनने की चाहत में रूकावट बन सकता है.सरदार के बहाने कई निशाने साधे जा रहे हैं!

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