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Optimistic & Pessimistic : एक चीझ का दो नजरिया

Dharm & religion; Vigyan & Adhyatm; Astrology; Social research
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Optimistic & Pessimistic : एक चीझ का दो नजरिया

एक जूते बनाने वाली कंपनी ने एक एरिया में अपने एक मार्केटिंग मैनेजर को सर्वेक्षण करने के लिए भेजा ताकि वह ये तय कर सके कि वहां पर बिज़नस किया जाये या नहीं | उस मैनेजर ने वहां जाकर देखा कि वहां कोई जूता नहीं पहनता है | उसने अपने कम्पनी को रिपोर्ट भेजा कि – मै वापस आ रहा हूँ, यहाँ जूता बेचने कि कोई सम्भावना नहीं है क्योंकि यहाँ कोई जूता नहीं पहनता है | यहाँ कृपया जूते न भेजे (Let me back. There is no chance to sell the shoes as no person is bearing the shoes here. Please don’t send the shoes here for sell.)

उस कम्पनी ने पुनः अपने दुसरे मार्केटिंग मैनेजर को उसी जगह पर सर्वेक्षण के लिए भेजा | उस मैनेजर ने वहां जाकर देखा कि वहां कोई जूता नहीं पहनता है | उसने अपने कम्पनी को रिपोर्ट भेजा कि – मै यही पर अभी रहूँगा | यहाँ जूते बेचने कि बहुत ज्यादा सम्भावनाये हैं क्योंकि यहाँ कोई जूता नहीं पहना है | यहाँ कृपया बहुत से जूते बेचने के लिए भेज दे | (Let me to be here. There is a lot of chance to sell the shoes as no person is having the shoes here. Please send a lot of shoes here for sell).

In the same situation, a different report. Why?

Because the First manager is Pessimistic and second one is Optimistic.

आशावादी कहता है कि दूध का ग्लास आधा भरा है | निराशावादी कहता है कि दूध का ग्लास आधा खाली है | दोनों सत्य है किन्तु देखने में काफी फर्क है | ये सोच का फर्क ही हमारे आगे कि गतिविधियों को तय करता है |

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