Dharm & religion; Vigyan & Adhyatm; Astrology; Social research
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तर्ज: – हवाओ से पूछो, किरण चूमती है |
लता जल रही है, सुमन जल रही है,
रमा जल रही है, कुसुम जल रही है,
दूल्हा हंस रहा है, दुल्हन रो रही है |
लता………………रमा…………………
बहुत धन लगाकर शादी रचाई,
मगर वो किसी को समझ में न आई,
ये लालच ही कैसी, अगन जल रही है,
लता………रमा………दूल्हा………
दिया इतना सामान वो भर गयी गाड़ी
रजाई बिछौने वो रंगीन साड़ी,
मगर लाश फिर भी नगन जल रही है |
लता………रमा………दूल्हा………
चिता रुक्मणी की बुझने न पाई,
बराबर में सीता भी जलने को आई,
घर में ही अपने किरण जल रही है,
लता………रमा………दूल्हा………
आहों से इनकी जहाँ जल रहा है,
लसजता हुआ आसमां जल रहा है,
बेमोल सारी धरन जल रही है,
लता………रमा………दूल्हा………
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