Menu
blogid : 954 postid : 282

नग्मे : ८. ऐ मालिक तेरे बन्दे हम,

Dharm & religion; Vigyan & Adhyatm; Astrology; Social research
Dharm & religion; Vigyan & Adhyatm; Astrology; Social research
  • 157 Posts
  • 309 Comments

नग्मे : ८. ऐ मालिक तेरे बन्दे हम,

ऐ मालिक तेरे बन्दे हम, ऐसे हों हमारे करम,
नेकी पर चलें, और बदी से टलें, ताकि हंसते हुए निकले दम…
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम…

जब ज़ुल्मों का हो सामना, तब तू ही हमें थामना,
वो बुराई करें, हम भलाई भरें, नहीं बदले की हो कामना…
बढ़ उठे प्यार का हर कदम, और मिटे बैर का ये भरम,
नेकी पर चलें, और बदी से टलें, ताकि हंसते हुए निकले दम…
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम…

ये अंधेरा घना छा रहा, तेरा इनसान घबरा रहा,
हो रहा बेखबर, कुछ न आता नज़र, सुख का सूरज छिपा जा रहा,
है तेरी रोशनी में वो दम, जो अमावस को कर दे पूनम,
नेकी पर चलें, और बदी से टलें, ताकि हंसते हुए निकले दम…
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम…

बड़ा कमज़ोर है आदमी, अभी लाखों हैं इसमें कमी,
पर तू जो खड़ा, है दयालू बड़ा, तेरी कृपा से धरती थमी,
दिया तूने हमें जब जनम, तू ही झेलेगा हम सबके ग़म,
नेकी पर चलें, और बदी से टलें, ताकि हंसते हुए निकले दम…
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम…

रचनाकार : भरत व्यास
फिल्म : दो आंखें बारह हाथ (1957)
पार्श्वगायन : लता मंगेशकर, वी शांताराम
संगीतकार : वसंत देसाई

विशेष नोट : वी शांताराम द्वारा बनाई हिन्दी फिल्म ‘दो आंखें बारह हाथ’ में फिल्माया गया यह गीत आज भी बहुत-से विद्यालयों में प्रार्थना के रूप में गाया जाता है…

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published.

    CAPTCHA
    Refresh