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जिस नेताजी के मृत्यु जाँच के लिए ‘खोसला आयोग’ गठित हुई थी उस आयोग ने रिपोर्ट दिया – नेहरु जी एक संतुलित राजनीतिज्ञ है जबकि नेताजी एक अव्यवहारिक देशभक्त एवं जापानियो के कठपुतली थे | (हालाँकि ये वही नेताजी थे जिन्हें गाँधी जी ने ‘देशभक्तों का देशभक्त’ एवं ‘देशभक्तों का राजकुमार’ कहा था | शायद खोसला आयोग के सदस्य इतने दक्ष थे कि जिस काम को सौपा गया था उस पर निष्कर्ष देने के अतिरिक्त ‘ एक साथ दो काज’ सिद्धांत को अपनाते हुवे नेहरु-नेताजी में तुलना भी कर डाली |
धिक्कार |
ये सदस्य गण शायद नही जानते या शायद इन्होने नेताजी के सम्बन्ध में मौनब्रत शपथ ग्रहण की थी कि जिस नेताजी को इनलोगों ने मृत घोषित किया वे अपना सर्वस्य त्याग दिए देश के लिए | उनका त्याग इतना विस्तृत है कि कम से कम मेरे कागज और कलम जरुर असमर्थ है व्याख्या करने के लिए | उस नेताजी ने क्या पाया…?
इतिहास के पुस्तको में भरपूर उपेक्षा | बिना प्रमाण के नेताजी को मृत घोषित कर दिया गया | यहाँ तक कि नेहरु की कांग्रेस पार्टी सत्ता में जब तक रही तबतक नेताजी का चित्र संसद कक्ष में लगने नहीं दिया गया | वहां नेता जी का चित्र २३ जनवरी १९७८ को जनता सरकार के शासन में ही लग सका |
cont…Er. D.K. Shrivastava (Astrologer Dhiraj kumar) 9431000486, १८.१०.२०१०
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