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चक्रवर्ती राज गोपालचारी, जो भारत बिभाजन को स्वीकारने वाले प्रथम कांग्रेसी नेता थे, को १९५४ में भारतरत्न दिया गया |
जवाहर लाल नेहरु, जिसने उन सारे समस्याओ के आग पर राख की ढेर चढ़ा दी ताकि समस्याए छिप जाये,
१. जिसने कश्मीर को समस्या बना दिया | पं. जवाहर लाल नेहरू को कश्मीर समस्या का जनक बताया गया है। कश्मीर में जब पाकिस्तानी सेना सर पर पैर रखकर भाग रही थी, उसी समय माउन्टबेटन ने युद्ध विराम करा दिया और 32000 वर्ग मील जमीन पाकिस्तान के कब्जे में चली गई। इसे नेहरू की अदूरदर्शिता ही कहा जाएगा।
२. जिनके लेडी माउंटबेटन (अन्तिम वायसराय लार्ड माउन्टबेटेन की पत्नी एडविना) के साथ नजदीकी सम्बन्ध थे | एडविना की बेटी पामेला हिल्स ने भी इसे स्वीकार किया कि दोनों के बीच भावनात्मक सम्बन्धों को नजदीक से देखा था। एडविना की मृत्यु के बाद उनके सूटकेस से मिले नेहरू के अनेको प्रेम–पत्रों ने इसकी पुष्टि की | इसी आधार पर पामेला ने ‘‘इण्डिया रिमेम्बर्ड : ए पर्सनल एकाउन्ट आफ द माउन्टबेटन ड्यूरिंग द ट्रांसफर आफ पावर’ नामक पुस्तक लिखी।
३. जिन्हें लार्ड माउन्टबेटन के प्रति नैसर्गिक श्रद्धा का जबाबदेह माना गया है | डा. राममनोहर लोहिया के शब्दों में नेहरू के पूर्वज मुगलों की खिदमत करते रहे और उसी मुस्तैदी से अंग्रेजों की भी खिदमत किया। अत: मुगल संस्कार नेहरू वंश के रक्त में है। वंशानुगत मुगल सेवा का संस्कार काफी प्रबल थे। अंग्रेजी भक्ति भी इस परिवार की बेजोड़ थी। गोरों के प्रति उनकी नैसर्गिक श्रद्धा,
लार्ड माउन्टबेटन आदि से उनके गहरे सम्बन्ध रहे। सरदार पटेल, राजेन्द्र प्रसाद, राजगोपालाचारी, नरेन्द्रदेव, जयप्रकाश, लोहिया आदि से नेहरू की कभी नहीं पटी। नेहरू की पद्मजा नायडू, लेडी माउंटबेटेन से खूब पटती थी। श्रीमती बच्चन की चाय उन्हें बहुत पसन्द थी, नर्गिस–सुरैया के वे प्रशंसक थे, वैजयन्ती माला को वे सेब अपने हाथों से खिलाते थे।
४. जिन्हें भारत का विभाजन का जबाबदेह माना जाता है |
५. जिन्हें चीन द्वारा भारत पर हमला का जबाबदेह माना जाता है | तिब्बत को चीन की झोली में डालने वाले तथा दलाईलामा को भारत में शरण देकर चीन को भारत का शत्रु बनाने वाले नेहरू ही थे। ‘हिन्दी–चीनी भाई–भाई’ का नारा लगता रहा और चीन ने आक्रमण कर दिया। शत्रु–मित्र की पहचान का प्राय: अभाव था नेहरु में |
६. जिन्हें मुस्लिम तुष्टीकरण का जबाबदेह माना जाता है |
७. जिन्हें भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिये चीन के समर्थन का जबाबदेह माना जाता है | ,
८. जिन्हें भारतीय राजनीति में वंशवाद को बढावा देने का जबाबदेह माना जाता है | भारत–दुनिया का अनोखा देश है। कोई भी प्राणवान राष्ट्र व्यक्ति या वंश पर नहीं रीझते। प्रबुद्ध जनता ने द्वितीय विश्व युद्ध के ब्रिटिश नायक चर्चिल को नया प्रधानमंत्री नहीं बनाया क्योंकि इससे तानाशाही की सम्भावना थी। महान स्टालिन और माओ की पूजा नहीं चल सकी। जॉन कैनेडी के भाइयों को राष्ट्रपति नहीं बनाया गया। इससे राष्ट्रों की महानता स्पष्ट होती है। भारत में वंशवाद खूब चलता है। मोतीलाल नेहरु – जवाहरलाल नेहरु – इंदिरा गाँधी – राजीव गाँधी, सोनिया गाँधी – राहुल गाँधी इसके स्पष्ट प्रमाण हैं |
९. जिन्हें हिन्दी को भारत की राजभाषा बनने में देरी करना व अन्त में अनन्त काल के लिये स्थगन का जबाबदेह माना जाता है |
१०. जिन्हें गांधीवाद अर्थव्यवस्था की हत्या का जबाबदेह माना जाता है |
११. जिन्हें ग्रामीण भारत की अनदेखी का जबाबदेह माना जाता है |
१२. जिन्हें सुभाषचन्द्र बोस का ठीक से पता नहीं लगाने का जबाबदेह माना जाता है |
१३. जिन्हें भारतीय इतिहास लेखन में गैर-कांग्रेसी तत्वों की अवहेलना का जबाबदेह माना जाता है |
१४. जिन्हें वरिष्ठ पत्रकार डॉ. रामप्रसाद मिश्र ने स्वतंत्र भारत का शोक कहा है।
१५. जिन्हें स्वतंत्र भारत को पाश्चात्य सभ्यता–संस्कृति का दास बनाने का जबाबदेह माना गया है |
१६. जिन्हें भाषा समस्या को उत्पन्न करने वाले में मुख्य रूप से जबाबदेह माना गया है |
१७. जिन्हें ‘बांटो और राज करो’ की नीति का घिनौना प्रयोग कर सफलता प्राप्त करने का जबाबदेह माना गया है |
१८. जिनके कार्यकाल में ईसाई मिशनरियों को खुली छूट मिली।
१९. जिनके बारे में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के चुनाव के पच्चीस वर्ष बाद चक्रवर्ती राज-गोपालचारी ने लिखा-‘‘निस्संदेह बेहतर होता, यदि नेहरू को विदेश मंत्री तथा सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनाया जाता” । यदि बहुमत का आदर किया गया होता तो सरदार पटेल भारत के प्रधानमंत्री होते, परन्तु गांधी, पटेल से घबराते थे। माउन्टबेटेन भी पटेल से चिढ़ते थे।
जवाहर लाल नेहरु को १९५५ में भारतरत्न दिया गया |
इंदिरा गाँधी,
१. जिसने शुद्ध राजनितिक फायदे के लिए 25 जून १९७५ को आपातकाल की घोषणा की जो अपने दमनकारी कार्यवाहियों के लिए कुख्यात है | 11 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज नारायण की याचिका को स्वीकार करके रायबरेली से इंदिरा जी के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनके ख़िलाफ़ फ़ैसला सुनाया जिससे उनकी संसद की सदस्यता समाप्त हो जाती और उन्हें छः वर्ष के लिए राजनीति से अलग रहना पड़ता। प्रतिक्रियास्वरूप उन्होंने समूचे भारत में आपातकाल की घोषणा कर दी। अपने राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वियों को गिरफ़्तार करवा लिया और आपातकालीन शक्तियाँ हासिल करके व्यक्तिगत स्वतंत्रता सीमित करने सम्बन्धी कई क़ानून बनाए। इंदिरा जी को प्रधानमंत्री पद से हट जाने की मांग उग्र होने लगी। इंदिरा जी ने इसका दमन करने के लिए आपातकाल का सहारा लिया। सभी प्रतिपक्षी पार्टियों के नेताओं, कार्यकर्ताओं को 19 माह तक देश की जेलों में बंद रखा। करीब सवा लाख लोग बंदी बने हुए थे। पूरा देश जेलखाना बना हुआ था। फरवरी 1977 में आपातकाल की अवधि में इंदिरा जी ने लोकसभा चुनाव कराया, जिसमें उन्हें भारी पराजय का सामना करना पड़ा। भारी शिकस्त खाने के बाद उन्होंने देश की जनता से सार्वजनिक रूप से माफी मांगी।
२. जो सरकारी भ्रष्टाचार के आरोप में कुछ समय तक जेल (अक्टूबर 1977 और दिसम्बर 1978) में रहीं।
३. जिसने जून 1984 में सिक्खों के पवित्रतम धर्मस्थल अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर पर सेना के हमले के आदेश दिए, जिसके फलस्वरूप 450 से अधिक सिक्खों की मृत्यु हो गई।
४. जिसने घोर अवसरवादिता, अनुशासनहीनता का परिचय दिया | डा. जाकिर हुसैन के निधन के पश्चात कांग्रेस पार्टी ने नीलम संजीव रेड्डी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया, जिसका प्रस्तावक प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी थीं। इन्दिरा जी नीलम संजीव रेड्डी को नहीं चाहती थीं क्योंकि वह इन्दिरा विरोधी गुट के थे, मगर पार्टी दबाव पर उन्होंने नीलम संजीव रेड्डी का प्रस्ताव किया। प्रतिपक्ष ने एकजुटता का संदेश देकर श्री वी.वी. गिरि को अपनी तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए खड़ा कर दिया। वोटों की गिनती के हिसाब से श्री वी.वी.गिरि का पलड़ा भारी था। प्रधानमंत्री इन्दिरा जी ने अपना पाला बदल दिया और प्रतिपक्ष के उम्मीदवार को समर्थन देकर अवसरवादिता का परिचय दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि इन्दिरा जी की भूमिका के कारण कांग्रेसी उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी की पराजय हुई और प्रतिपक्ष के प्रत्याशी वी.वी. गिरि को विजय मिली।
इंदिरा गाँधी को १९७२ में भारतरत्न दिया गया |
अम्बेडकर, जिसने दुसरे विश्व युद्धय में श्रमिको से कहा कि इंग्लॅण्ड का साथ देकर हिटलर को पराजित करे, १९४२ में जब ‘भारत छोडो’ आन्दोलन और ‘करो या मरो’ का नारा दिया गया तो अम्बेडकर ने भारत छोडो आन्दोलन का समर्थन नहीं किया बल्कि अम्बेडकर तो अंतिम समय तक अंग्रेज हुकुमत से भारत में बने रहने का अनुरोध कर रहे थे। चूंकि वे चाहते थे कि अंग्रेज उन्हें हिन्दुत्व से मुक्ति दिलाने के बाद इस मुल्क से जाए। डॉ. अम्बेडकर को अंग्रेज हुकूमत ने नेता बनाया था | अम्बेडकर, महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्र आलोचक थे | अम्बेडकर को १९९० में भारतरत्न दिया गया |
डॉ. नेल्सन मंडेला, जो कही से भी भारत के रत्न नहीं है और न ही भारत के लिए कुछ किया | डॉ. मंडेला को १९९० में भारतरत्न दिया गया |
राजीव गाँधी, जो राजनितिक वंशवाद के एक बड़े एवं नए धूमकेतु थे | राजीव गाँधी पर बोफ़ोर्स मामले में धन कमाने के आरोप लगते रहे हैं | भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख वारेन एंडरसन को रिहा करने पर उठे विवाद में राजीव गाँधी की भूमिका पर संदेह उठता रहा है | राजीव गाँधी को १९९१ में भारतरत्न दिया गया |
मोरारजी देसाई, जो स्वयं अपनी बात को ऊपर रखते हैं और सही मानते हैं। इस कारण लोग इन्हें व्यंग्य से ‘सर्वोच्च नेता’ कहा करते थे। मोरारजी को ऐसा कहा जाना पसंद भी आता था। वरिष्ठ कांग्रेस नेता होने पर भी उनके बजाय इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री बनाया गया। यही कारण था कि इंदिरा गाँधी द्वारा किए जाने वाले क्रांतिकारी उपायों में मोरारजी निरंतर बाधा डालते रहे (बैंको के राष्ट्रीयकरण) । श्री मोरारजी देसाई को १९९१ में भारतरत्न दिया गया |
इन सारे महान नेताओ को भारत रत्न की उपाधि देने के बाद शायद याद आया या किसी और के लिए मज़बूरी में की गयी सौदाबाजी थी कि कोई नेता सुभाष चन्द्र बोस भी थे जो भारत रत्न हो सकते है | नेताजी को भारत सरकार ने आज़ादी के ४५ बरसो बाद नेहरु (१९५५), इंदिरा गाँधी (१९७२), अम्बेडकर (१९९०), राजीव गाँधी (१९९१) आदि नेताओ के बाद २२ जनवरी १९९२ को मरणोपरांत भारतरत्न की उपाधि दिया | क्यों ?
एक तरफ राजीव गांधी की हत्या के एक साल के भीतर भारत रत्न जैसा सर्वोच्च पुरस्कार दिया गया और नेता जी के लिये इस पुरस्कार पर पिछले 45 सालों तक चर्चा नहीं की गई और उन्हें पुरस्कार देने की घोषणा की गई 1992 में। यह कैसा न्याय ?
क्या भारतीय महापुरुषों मे इन्दिरा गांधी इतनी महान थीं कि उन्हें नेता जी से 20 साल पहले यह पुरस्कार दे दिया गया !
cont…Er. D.K. Shrivastava (Astrologer Dhiraj kumar) 9431000486, २०.१०.२०१०
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