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खोसला आयोग के समक्ष डॉक्टर योशिमी (घायल नेताजी के कथित उपचारकर्ता) ने बयान दिया था – अस्पताल में जब नेताजी को लाया गया था, उस समय उनके शरीर पर सुजन बिलकुल नहीं थी (खोसला आयोग की बैठक, भाग ६, पृष्ठ २४७६) जबकि शाहनवाज समिति के समक्ष इसी व्यक्ति ने बयान दिया था की उनका चेहरा सुजा हुवा था, उनकी आँखे भी सूजी हुई थी (नेताजी जाँच समिति १९५६ की प्रति, पृष्ठ २८ ) | यही नहीं, इस व्यक्ति ने शाहनवाज समिति के सामने कहा – रात्रि ८ बजे के बाद उनकी मृत्यु हो गई (नेताजी जाँच समिति १९५६ का प्रति पृष्ठ ३०) जबकि खोसला आयोग के सामने इसने बयान दिया की लगभग १२ बजे रात्रि में नेताजी की मृत्यु हो गयी|
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डॉक्टर योशिमी (नेताजी के अंतिम कथित उपचारकर्ता) के बयानों में बिरोधाभाश क्यों है ?
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क्या डॉक्टर योशिमी की यादाश्त बहुत कमजोर है ? विल्कुल नहीं, अगर हो तो भी किसी डॉक्टर के जीवन में नेताजी सरीखे व्यक्ति बार बार इलाज करवाने नहीं आते और अगर आ जाये तो वह दिन निश्चित रूप से किसी भी डॉक्टर की यादगार बन जाती है |
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