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योगशास्त्र एवं आध्यात्म – २१. दर्शन : आप किसी धाम से लौटते है तो एक विशेष प्रकार की आनंदानुभूति लेकर लौटते है !

Dharm & religion; Vigyan & Adhyatm; Astrology; Social research
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अब मै आपको लेकर चलता हूँ भारतीय संस्कृति में वर्णित ‘दर्शन’ पर | दर्शन बहुत बड़ी चीझ है | आप किसी प्राण प्रतिष्ठित देवस्थान पर जाइये, आप देव प्रतिमा से बातचीत तो नहीं कर सकते किन्तु उनके दर्शन मात्र से ही आपको असीम शांति महसूस होती है | आप किसी धाम से लौटते है तो एक विशेष प्रकार की आनंदानुभूति लेकर लौटते है | जानते है ऐसा क्यों होता है ? आपको मालूम होना चाहिए भारतीय संस्कृति और साधना के अंतर्गत जितने भी विज्ञान है, उनमे एक ‘पीठ विज्ञानं’ है | इसके अनुसार जिस स्थान पर वैदिक विधि विधान के अनुसार दैविपीठ का निर्माण हुआ करता है वहां दैवी उर्जा तरंगो का अस्तित्व बराबर बना रहता है | जब हम देव-प्रतिमा का दर्शन करते है तो हमारा प्राणमय शरीर उस विकीर्ण हो रही उर्जा-तरंगो को भी ग्रहण कर लेता है | अतः हम जब लौटते है वहां से तो बहुत कुछ लेकर लौटते है | हमारे भौतिक शरीर को पता ही नहीं होता है | इस दैवी प्राण उर्जा-तरंगो की तरह मानवी प्राण उर्जा तरंग भी होता है और यही कारण है कि जब हम किसी सच्चे साधू-महात्मा के पास जाते है तो हमें काफी शांति महसूस होती है |

cont.. Er. D.K. Shrivastava, 9431000486, 24.7.10

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