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स्टोरी : ३. प्रेम दो-प्रेम लो

Dharm & religion; Vigyan & Adhyatm; Astrology; Social research
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स्टोरी : ३. प्रेम दो-प्रेम लो

एक अध्यापक ने कौतुहल वश एक परिक्षण किया। उन्होने विधार्थियो से कहा: “आप सब उन सहपाठियों के नाम लिख दें जिन्हे आप नापसंद करते हैं, जो आप को अच्छे नही लगते। फिर पेपर बंद कर मुझे दे दें। मै यह पेपर किसी को नही दिखाऊंगा। सिर्फ मै ही उन नामों को देखूंगा।”

सारे कागज़ अध्यापक के पास आ गए। उन्होने उनका निरिक्षण किया। सभी छात्र छात्राओ ने अपने नापसंद के कई नाम लिखे हुए थे अपने हस्तक्षर सहित । सिर्फ एक ही छात्र था जिस ने लिखा था कि:- ” मुझे कोई भी नापसंद नही है। सभी मुझे अच्छे लगते है, सभी मेरे मित्र हैं”

अध्यापक को यह जानकर आश्चर्य-मिश्रित प्रसन्नता हुई कि सभी छात्र छात्राओं के नाम एक दुसरे की पसंद नापसंद की सूची मे आ गये थे, परन्तु उस छात्र का नाम किसी ने भी नही लिखा था, जिसने सब के प्रति प्रेम व मित्रता का भाव रखा था।

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