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इक दिन हिन्दी विश्व की भाषा बनेगी – contest

मेरी आवाज़
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हिंदी ब्लॉगिंग हिंदी को मान दिलाने में सार्थक हो सकती है या यह भी बाजार का एक हिस्सा बनकर रह जाएगी?


हिन्दी जब से ब्लॊग जगत में आई है

दुनिया के हर कोने में पहुँच बनाई है

हर आम जन इसका कितना दीवाना है

इसका विस्तार ब्लागिंग से ही जाना है |

अनजानी गलियों के गुमनाम रास्तों पर

हिन्दी के  पुजारी सो रहे  थे बेखबर ।

फ़िर कहीं से एक किरण आशा जगा गई ,

और हिन्दी अंतरजाल पर छा गई ।

ब्लाग जगत में हिन्दी नें परचम लहराया

आम जन में लेखन का मोह जगाया ।

अपनी भाषा में बहने लगे भाव

भरने लगे हिन्दी भाषियों के घाव

अपनी बात कहने की आज़ादी मिल गई

सूखी हुई बगिया जैसे बसंत में खिल गई

तोड दिए ब्लाग नें हर भाषा के बंधन

नभ में उडने लगे साहित्य रूपी घन ।

दब रही थी जिस तरह हिन्दी जुबां

शायद भुला देता इसे सारा जहां

भविष्य में दादी-नानी कहानियां सुनाती

हिन्दी को गुजरे ज़माने की भाषा बताती

बच्चे लगाते खोज फ़िर हिन्दी की इस तरह

खो गई है आज ज्यों सिन्धु की सभ्यता

हिन्दी फ़िर इतिहास के पन्नो पे रह जाती

भीड भरे सिन्धु में बस लहर सी बह जाती

खंडहर से बच जाते फ़िर हिन्दी के कुछ निशां

शायद मिट जाती जहां से — हिन्दी जुबां

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किन्तु होती है धर्म की हानि जब कभी

चमत्कार दिखलाते हैं , खुद आ प्रभु तभी

गीता का यह सन्देश जाना-माना सर्वदा

आए स्वयं प्रभु , गिरा धर्म यदा-यदा ।

खो गई हिन्दी की नैया जब मझधार में ।

खो रही थी जब ये अपने ही घर द्वार में

भूल रही थीं जब इसे अपनी ही संताने

मिट रहे थी अपनी ही भाषा के परवाने ।

डोल रहा था हिन्दी का जब अपना सिंहासन

मिट रहा था हिन्द में जब हिंदी रूपी धन

तब हुआ इस जगत में नव सूर्य का उदय

ब्लाग से खिलने लगा फ़िर हिन्दी का हृदय

पतझड में ऐसे लगा , बरसात आ गई ।

हिन्दी के दीवानों में नई जान आ गई ।

हिन्दी नें फ़िर से गर्व से , सर उठा लिया ।

अपना सिहासन जगत में फ़िर जमा लिया ।

बलाग जगत में हिन्दी के दीवाने आ गए

देखते ही देखते दुनिया में छा गए ।

हिन्दी की अब पूरी दुनिया में पहचान् है

बलाग जगत सच में हिन्दी हेतु वरदान है ।

अब नहीं है डर कि हिन्दी खो जाएगी कभी

जानेगा संसार हिन्दी सीखेंगे सभी

जिस तरह हिन्दी में भाव बहाए जाते हैं

गैर हिन्दी भी इसी से मोह जगाते हैं

हिन्दी ब्लाग सिलसिला जो यूँ ही चलेगा

गर्व से हर भारतीय खुद को हिन्दी कहेगा

हिन्दी की गंगा बहती है और बहती रहेगी

इक दिन हिन्दी विश्व की भी भाषा बनेगी

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