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मेरी खट्टी- मीठी यादों के झरोखे से एक नमकीन सा अहसास आज भी हल्की सी टीस पहुँचा ही जाता है ।
बात तब की है जब मैं आठ-नौ साल की रही हूँगी और प्रोमिला(मेरी छोटी बहन,उसे प्यार से हम पम्मा कहते हैं) पाँच-छ: साल की |तब मेरी एक बहुत अच्छी दोस्त थी- गीत(अब भी है,मगर वो बचपन का साथ नहीँ ।अपनी अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त इतना समय कहाँ -कि हम फ़िर से जी लें उस बचपन को , जो इस जन्म कभी नहीं आएगा ) हम तीनों इक्कठी ही खेलती |उन दिनों न जाने हमे क्यों एक बुरी आदत
लग गई थी,आते-जाते लोगों से उनके नाम पूछने की |बस जो भी सामने आता,उससे पूछ बैठती-तेरा नां की है?(तुम्हारा नाम क्या है?)हम ऐसा क्यों करती थी?यह मैं नहीँ जानती, हाँ एक दिन इसी आदत के कारण हमे वो झिड़की मिली कि फिर भूल से भी
किसी का नाम पूछने का साहस हमारा नहीँ हुआ???????????????????????????
हमारे पड़ोस में एक बूढ़ी अम्मा रहती थी,सब उसे अम्मा सब्बा कहते थे |तब उसकी उम्र लगभग अस्सी
साल अवश्य रही होगी | बस उसे चिढ़ाने में हमें खूब मज़ा आता था,हम उसे जहाँ भी देखतीं,पूछ लेती-तेरा नां की है? (तुम्हारा नाम क्या है?) अम्मा ने कभी हमारी बात का जवाब नहीँ दिया,शायद बच्चे समझ कर माफ़ कर देती थी,लेकिन कब तक? ???????????
एक दिन तो अम्मा ने शायद पहले से ही हमें सबक सिखाने की ठान रखी थी |उस दिन जैसे ही हमने
अम्मा से आदत के अनुरूप ही उनका नाम पूछा तो उसने बड़े प्यार से हमें अपने पास बुलाया और फिर
अपने पैर से चप्पल उतारते हुए हमें मारने को दौड़ी | “दस्सा तुहानू नां,नां पूच्छ
आपनीया मावा दे जा के” (बतायूं तुम्हें नाम, नाम पूछो अपनी माओं के जाकर) यह कहते हुए हमारे
पीछे भागने लगी |बस फिर क्या था.?????????????हम आगे और अम्मा पीछे-पीछे ,वो कहाँ तक हमारे पीछे भागी, हमें नहीँ पता | हम जो भागी तो पीछे मुड़कर नहीँ देखा | हम भाग-भाग कर हाँफ चुकी थी | पूरे गाँव का चक्कर लगाकर किसी तरह छुपते-छुपाते घर पहुँचीं तो घर में पहले से ही हमारी शिकायत हो चुकी थी | हमारी माओं से उस दिन हमें वो
झिड़की मिली कि फिर कभी किसी का नाम पूछना तो दूर अम्मा सब्बा को बुलाने कि हिम्मत हमारी नहीँ हुई |यहाँ तक कि हम
उसके घर के आगे से भी गुजरने से डरती थी कि कहीं अम्मा हमें पकड़ कर पीट ही न दे | उसके बाद
मैने कभी अम्मा सब्बा को नहीँ बुलाया |
( आज अम्मा सब्बा यह दुनिया छोड़ चुकी है, अगर होती तो मैं
उनसे अपने बचपन की ग़लती की माफी अवश्य मांगती |बस इतना कहूँगी कि भगवान
अम्मा कि आत्मा को शांति प्रदान करे और हमे क्षमा)
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