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हे कोरोना

मेरी आवाज़
मेरी आवाज़
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थैंक यू कोरोना
तुम पधारे,
अपने पग पसारे |
भारतीयों को,
भारतीयता सिखला दी |
हमें अपनी संस्कृति ,
याद दिला दी |
सीख लिया ,
हमारी नई पीढ़ी ने भी ,
हाथ जोड़ना |
अच्छा लगा उन्हें भी ,
दिखावे को छोड़ना |
तुम बिन बुलाए मेहमान की भाँति
भारत भू मे घुस आए |
तुम्हें देख एक बार तो ,
हम भी घबराए |
किंतु फिर कुछ सोचकर,
स्वागत तुम्हारा भी किया |
“अतिथि देव भव “की रीति ,
का निर्वाह हमने किया |

 

 

पर क्या तुम जानते हो

गिध को भी मुक्त
करने का हमारा स्वाभाव है |
अरि को भी अपनाना हमारी ,
भू का ही प्रभाव है |
तुम आए देव भूमि पर ,
विचरण स्वच्छंद करने लगे |
तुमको आया देख ,
भारतजन भी यूँ डरने लगे |
ज्यों खड़ा हो काल सम्मुख ,
लील लेगा खोल के मुख |
नहीं सुरक्षित छोड़ा तुमने
कोई भी कोना |
फिर भी तेरा
धन्यवाद कोरोना |

 

 

पर तुम ये न समझ लेना

हम झुके हैं, हारे हैं|
धन्यवाद कहते हुए ,
या कोई बेचारे हैं |
याद रखना
जिस धरा पर
पाँव तुमने है रखा |
और जिसकी संस्कृति का
अमृत रस तुमने चखा |
उस पावन भूमि , देव भूमि
की अलग पहचान है |
दुश्मनों को गले लगाने
में हमारी शान है |
तुम अदृश्य दैत्य को
मुक्ति यहाँ मिल जाएगी |
तुमको आया देख अब न
भारतीयता घबराएगी |
भारत की पावन धूल से तुम
धूल में मिल जाओगे |
इस तरह कुचलेंगे सिर
कि फिर न तुम उठ पाओगे |

थैंक यू तुमको किया
अब गुड बाय भी कहना है |
हाथ जोड़ नतमस्तक होना ,
भारतीयों का गहना है |
तुमने वही सिखला दिया ,
और काम अपना हो गया |
भारतीयों का कायल अब
संसार सारा हो गया |
दे दिया संदेश कि
भारत संस्कृति महान है |
अपना लो इसको आज से
तो ही सुरक्षित जान है |

अब विनम्र हो कहती हूँ ,
तुम अत्याचार मचाओ न |
छू ली भारत रज कि अब तुम
स्वयम् ही हट जाओ न |
वरना रास्ते बहुत हैं
हम हार कभी सकते नही |
जब तक न दुश्मन पस्त हो
हम कभी थकते नही |
हम लड़ेंगे , न थकेंगे ,
वादा है ,
तुमको ध्वस्त करेंगे |
न मिलेगा तुमको कोई कोना ,
अब चले भी जाओ
हे कोरोना|

 

 

 

 

नोट : यह लेखक के निजी विचार हैं, इसके लिए वह स्वयं उत्तरदायी हैं।

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