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हिंदी ब्लागिंग हिंदी को मान दिलाने में सार्थक हो सकती है या यह भी बाज़ार का एक हिस्सा बन के रह जाएगी |contest

kavita
kavita
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आज चाहे चारों तरफ अंग्रेजी का कितना ही बोलबाला क्यूँ न हो पर हिंदी का अपना अलग
शालीनतापूर्ण चरित्र है |चाहे हम कितनी भी इंग्लिश बोल लें अंत में आना अपनी ही भाषा
पर पड़ता है |वैसे भी चाहे कितना भी अंग्रेजी बोल लें या कोई रचना पढ़ी जाये उसमें उतना
रस नहीं आता जितना अपनी भाषा में पढनेमें आता है |
यही बात लेखन पर भी लागू होती है चूं की हिंदी हमारी मादरी भाषा है ,उसे हम जन्म
के साथ समझते हैं और फिर धीरे -धीरे बोलने लगते हैं तो जितना अच्छा हम अपने मात्र
भाषा में लिख पाएंगे उतना दूसरी भाषा में नहीं लिख सकते चाहे वह कोई भी विधा हो |
………………………………….पहले जिन लोगों को लिखने का शौक होता था ,वे अपनी
रचनाएँ पत्र -पत्रिकाओं में भेजते थे जो अक्सर खेद सहित वापस आ भी जाती थी और
अगर छपती तो भी काट -छांट कर |अब कम्प्यूटर के समय में लेखको को एक एक खुला
मंच मिल गया है जिससे वो अपनी बात ज्यूँ का त्यूं रख सकते है |किसी भी विधा में
आसानी से अपनी रचना बिना काटे छांटे लिखी जा सकती है ,अब कटने छंटने का कोई
डर नहीं है |
हिंदी भाषा में लिखना मेरे विचार से हिंदी ब्लागिंग को बढ़ावा ही दे रहा है |अधिक से अधिक
लोग अंतर्जाल का उपयोग कर ब्लाग लेखन कर रहे हैं |मुझे स्वयम मेरे भाई ने कहा की
तुम्हें लिखने का शौक है तो कोई ब्लाग की साईट देख कर उसकी सदस्य बन जाओ
तुम्हारी रचनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा |उन्होंने खुद जागरण जंक्शन का मंच खोज
कर दिया था |
मेरे परिचितों में कई लोग ब्लाग लेखन करते हैं ,सभी हिंदी भाषा में अपनी रचना लिखते हैं|
स्वयम जागरण जंक्शन मंच पर भी हजारों लेखक होंगे जो हिंदी में लिखते है ऐसे और
बहुत से ब्लाग की साईट हैं जिसमे अनगिनत लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं तो क्या
ये हिंदी भाषा के लिए सार्थक कदम नहीं है ?मेरे विचार से तो है |
अपनी भाषा अपना गौरव होती है ,देश का अभिमान होती है ,और ओउरे देश को एकता
के सूत्र में पिरोती है |चाहे हम कितनी भी अंग्रेजी भाषा का प्रयोग कर लें आना फिर अपनी ही
भाषा पे है |हिंदी भाषा में हमारे विचार प्रवाहित होते है ,ह्रदय से निकलते है और कागज़
पर जन्म लेते है और जो बात दिल से निकलती है ,वही सच्ची और खरी होती है |
………………………….हिंदी भाषा हमारे जीवन का अभिन्न अंग है ,विचारों के आदान
प्रदान का आवश्यक तत्व है |हिंदी भाषा का चरित्र सहज ,सरल और वैज्ञानिक है तो ऐसी
भाषा में लेखन बाज़ार का हिस्सा कदापि नहीं बन सकता है |हिंदी में ब्लागिंग एक क्रांतिकारी
और सार्थक कदम है |
यश मालवीय जी ने कितना सही लिखा है –
भाषा के भविष्य को लेकर
हमें डराओ ना ,
बहुत हो चुका,हिंदी से
दासता कराओ ना .
इसकी अपनी आन बान है
जगमग करता संविधान है
सपनों सी है देवनागरी ,
निंदिया में भी धान पान है
इसको बेचो नहीं ,
की अपना नाम धराओ ना
भाषा के भविष्य को लेकर
हमें डराओ ना ….

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