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एक बार आ जाओ कान्हा लेकर अवतार …..

kavita
kavita
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त्रेता युग में कहा था तुमने
क्या भूल गये खेवनहार ,
जब जब बढ़ेगा धरती पे
पापों का भार ,मै आऊंगा
तब ले कर ,एक नया अवतार।
याद तुम्हें है ,या
भूल गये कन्हाई
देख रहे हो जग में
कैसी विपदा आई
छाया है चहूँ ओर
घोर अंधकार
कब आओगे तुम
लेकर के अवतार।
घूम रहे कंस ,तड़का
होकरके स्वछंद
यमुना नीर बहाए
नहीं है कूल कदम्ब
कालिया के विष से
मचा है हाहाकार
कब आओगे तुम
लेकर के अवतार।
काम  क्रोध में
मस्त हैं शासक
धन के लोभ में
मस्त प्रशासक
तुमने किया कितने
दानव ल संहार
कब आओगे तुम
लेकर के अवतार।
हे अरिहंता ,रास रच्या
हे राधा के सखा
देख नहीं पाते  तुम
हम सबकी व्यथा
सुरसा की मुख की भांति
बढ़ता अत्याचार
कब आओगे तुम
लेकर के अवतार।

त्रेता युग में कहा था तुमने

क्या भूल गये खेवनहार ,

जब जब बढ़ेगा धरती पे

पापों का भार ,मै आऊंगा

तब ले कर ,एक नया अवतार।

याद तुम्हें है ,या

भूल गये कन्हाई

देख रहे हो जग में

कैसी विपदा आई

छाया है चहूँ ओर

घोर अंधकार

कब आओगे तुम

लेकर के अवतार।

घूम रहे कंस ताड़का

होकरके स्वछंद

यमुना नीर बहाए

नहीं है कूल कदम्ब

कालिया के विष से

मचा है हाहाकार

कब आओगे तुम

लेकर के अवतार।

काम  क्रोध में

मस्त हैं शासक

धन के लोभ में

मस्त प्रशासक

तुमने किया कितने

दानव का संहार

कब आओगे तुम

लेकर के अवतार।

हे अरिहंता ,रास रच्या

हे राधा के सखा

देख नहीं पाते  तुम

हम सबकी व्यथा

सुरसा की मुख की भांति

बढ़ता अत्याचार

कब आओगे तुम

लेकर के अवतार।

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