kavita
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राहें तेरी दुश्वार सही
फूल नहीं तो खार सही
रस्ते सब अनजान सही
साथ कोई न अपना होगा
फिर भी तुझको चलना होगा
मौसम सब वीरान लगे
जीवन चटियल मैदान लगे
हर साथी अनजान लगे
नींद नहीं न सपना होगा
फिर भी तुझको चलना होगा
हो चाहे रात या घना अँधेरा
पलको पे आंसू का पहरा
भटको चाहे सहरा सहरा
छालों को भी सहना होगा
फिर भी तुझको चलना होगा .
जब चलना ही जीवन है ,
तो काँटों को उपवन जानो
आंसुओं के फूल खिला कर
दुःख को तुम छलना सीखो
क्यों न ऐसे चलना सीखो .
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