- 72 Posts
- 1055 Comments
एक बार शेख सादी अपने पिता जी के साथ हज करने जा रहे थे रास्ते में रात
होने पर दोनों पिता पुत्र रात बिताने के लिए एक धर्मशाला में रुके |शेख
सादी अपने पिता कि तरह नमाज़ के बड़े पाबंद थे |सुबह होने पर वो अपने
पिता के साथ प्रातः काल नमाज़ के लिए उठे तो उन्होंने देखा कि सराय में
अधिकतर लोग सो रहे थे |शेख सादी को लोगो को सोता देखकर बड़ा क्रोध
आया |गुस्से में वो अपने पिता से बोले “अब्बा हुज़ूर देखिये कैसे खराब और
आलसी और निकम्मे लोग हैं ,सुबह का वक़त नमाज़ का होता है और ये
लोग कैसे मज़े से सो रहे हैं शर्म भी नहीं आती इन्हें |
शेख सादी के पिता ने उत्तर दिया “बेटा तू भी न उठता तो अच्छा होता सुबह
उठकर दूसरों कि कमियां निकलने से बेहतर है कि न उठा जाये “|उसी दिन
से शेख सादी ने निर्णय लिया कि वे अब किसी कि बुराई नहीं देखेंगे |अपनी
इसी सोच से वे आगे चलकर एक महान संत बने |
Read Comments