kavita
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रखे ख़ुदा सलामत अपना ये मुल्क प्यारा
अपने चमन की खुशबु ,हो चारो सिम्त फैली
किसी की बदनज़र से न हो ये मैली .
ये ज्ञान की है गंगा ,शीरी है इसकी धारा
रखे ख़ुदा सलामत अपना ये मुल्क प्यारा
ऋषियों मुनि की धरती ,ये सूफियों की सरजमीं
फिजाओं में चन्दन है ,जर्रा जर्रा दिलनशीं
इसपे सदा है हमने जान-ओ -जिगर वारा.
रखे ख़ुदा सलामत अपना ये मुल्क प्यारा .
रंग -रंग के फूलों से सजा हमारा देश है
रंग बिरंगी बोली अपनी सतरंगा परिवेश है
यहाँ बसा है अपना मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारा
रखे ख़ुदा सलामत अपना ये मुल्क प्यारा .
जीरो का ज्ञान विश्व की हमने ही है दिया
हमने ही सिखाई है ज्योतिष की विद्या
रौशनी से इसकी रोशन जहान सारा
रखे ख़ुदा सलामत अपना ये मुल्क प्यारा
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