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हिंदी दिवस पखवारे के आयोजन का कोई औचित्य है ,या बस यूँ ही चलता रहेगा ये सिलसिला|contest

kavita
kavita
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विचारों के प्रवाह के आदान प्रदान के लिए मनुष्य ने भाषा का अविष्कार किया जिसमें विभिन्न स्थानों के
साथ विभिन्न भाषाएँ जन्म लेकर सामने आई |अशोक के समय में पाली भाषा का प्रयोग उसके बाद संस्कृत
भाष का विकास हुआ |मुग़ल कल में फारसी फिर उर्दू भाषा आम लोगों की भाषा बनीं |अंग्रेजों ने भारतीयों
को शारीरिक रूप से तो गुलाम बनाया ही साथ ही मानसिक दासता के लिए अंग्रेजी भाषा को ज़ंजीर बनाया
जो आज तक हम लोगों के मन मस्तिष्क को जकड़े हुए है जिससे आज हमारी पूरी संस्क्रति प्रभावित
हो रही है |
हम लोगों ने अपनी हिंदी भाषा को दोयम दर्जा देकर अंग्रेजी भाषा को सर आँखों पे बैठा लिया है |लोग
अपने को बेच कर भी चाहते है की उनकी संतान इंग्लिश स्कूल में पढ़ कर बाबु साहब बने |जब घर में कोई
अतिथि आता है तो अपने बच्चे को बुला कर कहेंगे बेटा अंकल ,आंटी को वो पोयम तो सुनाओ ,इयर कहाँ है ,
नोज़ कहाँ है ,फैन कहाँ है ?बच्चा यंत्र चालित सा बताता जाता है |ममता पिता का सीना गर्व से फूल
जाता है |ये तो हम लोगों की मानसिकता बन गई है |
चारों तरफ अंग्रेजी की होड़ मची है लोग हिंदी को पीछे करते जा रहे है ईसलिए हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए
सरकार हिंदी राजभाषा पखवारा मनाने का निर्णय लिया जिससे हिंदी भाषा को उसका खोया सम्मान
वापस मिल जाये |लोगो की मानसिकता बदले कम से कम १५ दिन तो लोग हिंदी में काम कर सकें
हिंदी का बारे में सोचें |अगर हिंसी में काम करें तो शायद धीरे धीरे लोगों की आदत बन जाये इसलिए बैंक ,
रेलवे .कारखाने दूरभाष आदि सभी सरकारी विभागों में अनिवार्य रूप से हिंदी राजभाषा पखवारा मनाया
जाता है |
राजभाषा पखवारा मनाने का निर्णय यूँ ही नहीं लिया गया है इसके पीछे यही भावना है की ये पखवारा
मना के हम हिंदी भाषा को वही मान सम्मान दिला सकें जो स्वतंत्रता संग्राम के समय इस भाषा
को प्राप्त था |पुरे भारत में स्वतंत्रता की ज्वाला गाँधी जी ,नहरू ,तिलक ,भगत सिंह ,बोस गोखले
चाहे जिस भाषा के लोग हों एक सूत्र में हिंदी ने ही बांधा था |
पखवारा मनाते समय लोग हिंदी भाषा में काम करते कार्य शाला आदि का आयोजन करते है
तथा हिंदी में सर्वाधिक काम करने वाले को पुरुस्कार से सम्मानित भी किया जाता है जिससे लोगों
का हिंदी के प्रति प्रेम और उत्साह बढ़ता है |
इसी के अंतर्गत जागरण जंक्शन भी ये प्रतियोगिता आयोजित कर रहा है |इसमें सभी ब्लागर
साथी उत्साह पूर्वक प्रतिभाग कर रहें हैं और चिंतन मनन कर अच्छे से अच्छा लिखने का प्रयास
कर रहे हैं जो की हिंदी पखवारे के आयोजन का ही एक अंग है |इतने लोगों का हिंदी भाषा के प्रति
सोचना ,लिखना ,चितन मनन करना मात्र ओपचारिकता तो नहीं हो सकती ,कहीं न कहीं हम सब
इससे जुड़ते जा रहे हैं .इसके प्रति गंभीर विचार विमर्श प्रारंभ हो गया है अगर इस सिलसिले को जारी
रखा जाये इसमें गंभीरता बनी रहे तो निसंदेह हिंदी दिवस पखवारा हिंदी भाषा की लिए मील का पत्थर
साबित होगा |लोग आते जायेंगे और कारवां बन जायेगा |
पग पग वंदन द्वार सजाओ
घर ,दफ्तर ,संसार सजाओ
सिर्फ एक दिन ही क्यों इसका
हर दिन ये त्यौहार सजाओ

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