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अरे रामप्रीत, ई सर पर ढेर सारी चटाइयां और राशन लाद के कहां जा रहे हो, कोई व्यवस्था है क्या? अरे का बतायें, ई बीएड इन्ट्रेन्स तो नरक कर दिया है, पता नही कहां-कहां से हर आयु वर्ग के पच्चीसो रिश्तेदार नातेदार परीक्षार्थी और उनके तीमारदार घर पर धमक गए हैं, छोटा सा घर है न शुद्ध बिजली न पानी, ऊपर से गर्मी का महीना, चटाई पर सुला रहा हूं पठ्ठों को, हम लोग सड़क पर सो रहे हैं और पब्लिक घर के अंदर, सड़क पर तो और भी नरक है, हजारो परीक्षार्थी सोए पड़े हैं, पूरा प्लेटफार्म बन गया है, हम तो धोखा खा गए कि कहां से स्टेशन पर आ गए, उपर से सेंटर भी एक से एक दिया है इस बार, किसी को पता ही नही कि कहां है, कुछ रिश्तेदारों को टरकाने का प्रयास किया कि यह विद्यालय तो दूसरे प्रदेश में पड़ता है तो पट्ठे बड़े शातिर निकले, पहले से ही सब पता-वता लगाकर आए थे कि सेंटर कहां है, एक नेता टाइप का रिश्तेदार मुस्कुराकर बोला.. आप सेंटर की चिंता तो न ही करें, बस बढि़यां भोजन और आराम से भिजवाने की व्यवस्था कर दें, बाकी हम लोग सब संभाल लेंगे, ऊपर से बीबी का और टेंशन है, उसका कहना है कि भले तुम्हारे सारे रिश्तेदारों के इक्जाम छूट जाय पर मेरे मायके साइड के एक-एक कैंडिडेट को खुद ले जाकर सुरक्षित, ससम्मान सेंटर तक पहुंचाओगे, इक्जाम के बाद मंदिर व सिटी माल दर्शन का भी प्रोग्राम है, छाती पर पूरा मूंग दलने की व्यवस्था है, तभी किसी दिलजले ने शुभ सूचना दी कि सरकार की प्रत्येक परीक्षा का पर्चा आउट नीति के तहत परीक्षा ही कैंसिल कर दी गयी है सुनते ही रामप्रीत के मुख से.. अरे बाप रे बाप, एकर मतलब ई सब फिरो अइहें..टाइप के वचन निकले और वह भूमि पर गिर पड़ा, तत्पश्चात परीक्षा कैंसिल होने के कारण अपने-अपने गंतव्य की ओर दौड़ रही जिंदाबाद-मुर्दाबाद करती आक्रोशित व रोती-कलपती अपार जनता ने उसे कुचल कर मार डाला। ईश्र्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया, तमाम लोग जहां इन अतिथियों के अकस्मात आक्रमण से व्यथित थे वहीं समाज में छोटेलाल टाइप के संत प्रवृत्ति के लोग भी थे जिनकी बांछे अतिथियों को देखते ही खिल गयी थीं, दरअसल छोटेलाल के घर पांच-सात सालियां टाइप की कैंडिडेटें आ गयी थीं, बाप के मरने पे भी छुट्टी न लेने वाला छोटेलाल तीन दिन से छुट्टी लेकर सबों को अलग कमरे में पढ़ा रहा था, परीक्षा के एक दिन पूर्व ही हर कन्या को ले जाकर उसका सेंटर दिखाया, इक्जाम क्या कैंसिल हुआ उसकी तो लाटरी ही लग गयी, सबों का मूड फ्रेश कराने सिटी माल लेकर गया और अगले महीने फिर यही सब होगा यह सोच-सोचकर परम प्रफुल्लित था। उधर अखिल भारतीय दादा टाइप टैंपू चालक संघ का अध्यक्ष दहाड़ रहा था.. परीक्षा रद्द करके सरकार ने बहुत ही घृणित कार्य किया है, हम इसकी घोर भर्त्सना करते हैं। अरे, आपको भी परीक्षा देनी थी क्या? अरे नहीं नहीं, हम तो सत्तासी के ही बीएड हैं, दरअसल बड़ा मंसूबा बांधे थे हम लोग कि अजीब-अजीब सेंटरों पर ले जाने का उल्टा-सीधा किराया वसूलेंगे पर..। खैर परीक्षा तो फिर होबे करेगी। इधर इतनी डिमांड क्यों बढ़ गयी बीएड की? क्यों न बढ़े, खांची भर टीन-छप्पर वाले कालेज खुल गए हैं, बिना गए चांप के नंबर मिलते हैं, एक बार बढि़यां नंबर खरीद लिए तो तुरन्ते विशिष्ट बीटीसी फिर तो एक पइसे का काम न धाम, बाइस हजार गिनते रहो। वाकई बीएड लीला अपरंपार है।
साभार शैलेश जी
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