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Bonsai

शाश्वत सत्य
शाश्वत सत्य
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रोज़ जंगल पे जंगल काटे जा रहे है,
development के नाम पर concrete के जंगल बना रहे है।
बड़ी बड़ी दीवारों के बीच छोटे-छोटे पौधे लगाते है,
कितने enviornment friendly है हम, दुनिया को यहदिखाते है ॥

पेडों के साइज़ सिकोड़ कर bonsai बनाते है,
फिर घरो में लगा कर शान बघारते है ।
न फल देते है न छाया,
सालो की मेहनत के साथ खर्चा और बढाते है ।
सिवाए शोभा बढाने के यह किसी काम नही आते है ॥

इसलिए आज कल फल भी तो नकली ही आते है,
“विदेशी है” ऐसा कह कर और भी महेंगे बेचे जाते है ॥
“आजकल कुछ भी असली नही मिलता” मन में सोचतेहै,
सरकार को blame करके ख़ुद बच निकलते है ॥
जब बाग़-बगीचे ही नही बचेंगे,
तो फल कहाँ से लायेंगे ।
bonsai पर फल कैसे उगा पाएंगे ॥

इन सबका असर हम पर ही पड़ेगा यह भूल जाते है,
पूरा साल पेड़ काटे जाते है ।
जब जंगल ही नही बचेंगे तो चारा कहाँ से लायेंगे,
जानवरों को injection ही लगायेंगे,
उससे भी पूरा नही पड़ा
तो यूरिया से ही दूध बनायेंगे ॥

पेपर use कम करो,
पेपर के लिए पेड़ काटे जाते है ।
सरकार बार-बार यही बता रही है ॥
“plastic की जगह paper-bag use करो”,
साथ साथ यह भी चिल्ला रही है ॥
सरकार की भी इसमें क्या गलती है,
environment के नाम पर कितनी सजग है सरकार,
यह दिखाने के लिए कुछ भी करती है ॥

दिन भर बिजली के कट लगते है,
office में भी day-light saving कराते है,
पर हम फिर भी कहाँ बाज आते है,
घरो में हर कमरे में अलग अलग AC चला कर,
उतनी ही खपत और बढाते है ॥

अगर इसी तरह चलते रहे तो
एक दिन हम history को दोहराएंगे,
हिम युग की शुरुवात हम ही कराएँगे,
और Adam-Eve के जमाने को फिर से वापिस लायेंगे ॥

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