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सत्यमेव जयते.. कुछ और सत्य

आर्यधर्म
आर्यधर्म
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आमिर खान का अंदाजे बयां कुछ और ही है बाकि फ़िल्मी नौटंकियो की अपेक्षा आमिर में सौम्यता है सबसे अलग और जो हमें दीखता भी है मीडिया के एक बड़े वर्ग द्वारा उनके विरुद्ध ईर्ष्यापूर्ण उपहास अभियान से! पर आमिर अपनी बात कहते हैं और अच्छी तरह कहते हैं I
पर आमिर जो भी हो, हैं वो फिर भी एक नाचने मटकने वाले फ़िल्मी कलाकार जिनका काम जनता की बात रखना है और वो भी उसी भावुकता के मसाले सहित और सनसनीखेज अंदाज में!!
आमिर ने एक काफी महत्वपूर्ण विषय उठाया है पर वो अपनी बात पूरी नहीं कह पाए या उन्होंने नहीं कही… !!

amir

आइये मैं प्रस्तुत करता हु एक चिकित्सक का पक्ष जो कोई नहीं कहता न पूछता है !!!

इस वक्त बकौल मीडिया के देखें तो डॉक्टर से सबको बड़ी शिकायते हैं, यूँ तो सबसे शिकायत है खासकर उन सभी से जो देश के सबसे महत्वपूर्ण सेवाओ के कारक हैं चाहे वो पुलिस हो सुरक्षाबल, राजनीतिग्य या फिर चिकित्सक, वास्तव में डॉक्टर का इन(विशेषकर राजनीतिग्य के साथ) सबके साथ उल्लेख अत्यंत आपत्तिजनक है पर जनता की शिकायत सूची में ये सभी आते हैं !

सोचने वाली बात है की फ़िल्मी और मनोरंजन क्षेत्र से सम्बन्ध रखने वाले लोगो ने शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे गंभीर विषयो पर भी अपनी टांग फंसानी शुरू कर दी है!! पहले देखते हैं की भारतीय शास्त्रनिहित कार्मिक विभाजन की हमारे देश में क्या विमर्श हमारे महान पूर्वजो ने दिए हैंI
किसी भी समाज में कर्म के भेद से चार मौलिक वर्ण होते हैं– ब्राह्मन, क्षत्रिय, वैश्य एवं शुद्र ! वर्ण यानि गुण, विशेषता यानि गुणों के निर्धारित कर्म विभाजन, ध्यान रखें ये जाति नहीं है ! ब्राह्मन यानि ज्ञानी व्यक्ति, वास्तव में ज्ञानी को तो विद्वान् विप्र इत्यादि भी कह सकते हैं ब्राह्मन ज्ञानत्व का सबसे शीर्ष है —ब्रह्म को जान लेने वाला ही ब्राह्मन है I उसी प्रकार से योद्धा क्षत्रिय होता है और विपणन इत्यादि करने वाला वैश्य, शुद्र सबसे निचले स्तर पर होता है जो मात्र अपनी देह को बेच कर या उसका प्रयोग करके जीवन निर्वाह करता है I
आधुनिक परिपेक्ष में विमर्श से स्पस्ट हो जायेगा की चिकित्सक आज का ब्राह्मन है और मीडिया,फैशन या फिल्म के लोग शुद्र!! एक अथाह ज्ञान से समाज की सेवा करता है और दूसरा देह का प्रदर्शन कर या उसे बेच कर अपना निर्वाह करता है !

यानि आज ब्राह्मन को कोई शुद्र शिक्षा देने की कोशिश कर रहा है!
इसके बारे में विस्तार से हम कभी और चर्चा करेंगे* I

अगर हम आमिर के कार्यक्रम को आक्रमण न समझ कर यदि जनता की शिकायत भी समझे तो कुछ और शिकायते भी हैं I
आखिर हम डॉक्टर के बारे में ऐसा क्यों सोचने समझने लग गए हैं कौन डॉक्टर के प्रति जनता को बरगला रहा है?

विश्व की मान्यताप्राप्त संस्थाओं द्वारा अध्ययन के बाद मेडिकल की पढाई को दुनिया की सबसे कठिन पढाई माना गया हैI एक डॉक्टर को बस पढाई पूरी करने के लिए ही अपने जीवन के सबसे कीमती बारह से पंद्रह वर्ष देने पड़ते हैं, पर पढाई पूरी करने और उसके बाद की जिंदगी ले जाने में अभी भी काफी बड़ी बाधा बाकि होती है I एक मेडिकल छात्र को मानव सभ्यता के पिछले २-३००० वर्ष के अर्जित चिकित्सा सम्बन्धी ज्ञान को अपेक्षाकृत अत्यंत सीमित अवधि में पढना और उसे सिद्धहस्त कर लेना होता है ! दुनिया की कोई पढाई और कोई भी व्यवसाय चिकित्सा सेवा जैसा नहीं होता ! जीहाँ यहाँ तक की, सेना, दमकल, पर्वतारोहन जो जोखिम के मामले में तो कहीं आगे हैं पर बाकि अन्य मापदंडो यानि प्रारंभिक प्रवेश परीक्षा का कठिनाई स्तर, मानसिक पारंगता, चौमुखी प्रतिभा, सम्पादित सेवा की महत्ता और उसकी अवधि इत्यादि पर चिकित्सा सेवा सबसे अधिक कठिन है ! ये सब आवश्यक इसलिए है क्योंकि यहाँ मानव जीवन की सुरक्षा की बात है!
पर इतना सब बलिदान करने के बाद किसी औसत चिकित्सा पेशेवर के लिए क्या सब कुछ आदर्श होता है?

आमिर खान साहब ने बाते बड़ी उठाई और गाहे बगाहे कई अन्य लोग भी कहते रहते हैं ! सबसे पहली बात, लोगो की शिकायत है की स्वास्थ्य सेवा का व्यवसायीकरण हो रहा है I सोचने वाली और पूछने वाली बात ये है की आखिर हम अपनी पूरी जिंदगी लगा कर उच्च कौशल प्रदान करने वाले चिकित्सको को पेशेवर समझते हैं या कुछ और? बड़े मजे की बात है जब चिकित्सीय सेवा लेने की बात होती है तो आपको दुनिया की सबसे बेहतर तकनीक, सबसे विशिष्ट गुणवत्ता और सबसे ख्यातिप्राप्त चिकित्सक से सर्वोच्च पेशेवर कौशल चाहिए पर जब उसका भुगतान करना हो तो हम उसी चिकित्सक को पेड़ के नीचे बैठा साधू, फकीर बना देते हैं! किसी वेश्या के फूहड़ लटको झटको पर तो हम ख़ुशी ख़ुशी हजारो मिनटों में उड़ा देते हैं परदुनिया की सबसे दुर्लभ, विशिष्ट, आधुनिकतम एवं बेहद चुनौतीपूर्ण सेवा लेने के बाद हम उसका पारिश्रमिक भी नहीं देना पसंद करते! दारू पिने, सिगरेट फूंकने फिल्म देखने में या ऐशो आराम पर हजारो लाखो खर्च करने में हम गर्व महसूस करते हैं और डॉक्टर को हम फिर भी भगवान का दूत तभी मानेंगे जब वो मुफ्त इलाज करेगा!! ये है हमारा मानसिक स्तर! डोक्टर का बस सेवा दे देना ही उसे इश्वर दूत बना देता है ! कैसे?

इश्वर कौन है? हम कई परिभाषाएं दे सकते हैं पर जो सबसे गूढ़ है वो ये की इश्वर सर्वज्ञानी है इसलिए ज्ञानी पुरुष इश्वर के काफी करीब होता है और शास्त्रों में भी कहा गया है की “क्षमता वान मनुष्य भी अपने ज्ञान तप के बल पर देवत्व प्राप्त कर सकता है”! दूसरा, डॉक्टर रोज भगवान से लड़ता है किसी की जा रही जिंदगी को वापस ले आने के लिए!! पर जो भी है, खुद डॉक्टर की दृष्टि में है वो है एक इन्सान ही जो बस अपना कर्म कर रहा है I ब्राह्मन तो अपना कर्म कर रहा है पर समाज और राज्य उस ब्राह्मन के लिए क्या कर रहा है?
हर दिन उसको अपमानित कर रहा है, उसके मानदंड अज्ञानी मनुष्यों का झुण्ड निर्धारित कर रहा है और हर तरह से उसे अपमानित करने, अपराधी साबित करने और प्रताड़ना करने में आनंद महसूस कर रहा है!!

क्या हमें मालूम है की चिकित्सको के प्रति शिकायतों का असली गुनाहगार कौन है?

स्वास्थ्य और शिक्षा पूरी तरह से राज्य यानि सरकार का दायित्व होता है इसे व्यवसाय बनाने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता I
पर आज दस सालो में सरकार ने मात्र १ कोलेज खोला और बाकि सभी १०९ प्राइवेट चिकिसा महाविद्यालय खोले गए आज ये स्थिति है की देश के कुल ३४० कोलेजो में सरकारी से अधिक प्राइवेट मेडिकल कोलेज हैं!
आज किस किस तरह से डॉक्टर बनाये जा रहे हैं जरा जानिए I
आज अधिकतर डॉक्टर प्राइवेट कोलेजो में बनाये जा रहे हैं जिनमे लगभग सभी मैरिट पर नहीं बल्कि पैसा खर्च करके दाखिला मिलता है, दाखिला ही नहीं कई कोलेजो में डिग्री भी उसी पैसे के बल पर मिल जाती है!
क्यों खोलती है सरकार प्राइवेट कोलेज क्योंकि हर प्राइवेट कोलेज से मंत्रियो को करोडो की कमाई होती है ! एम् सी आई तो मात्र एक माध्यम है ! तो तात्पर्य यही है की मात्र डेढ़ सौ सरकारी कोलेजो से ही शुद्ध-सामान्य डॉक्टर निकलते हैं!
कई डॉक्टर विदेशो से डिग्रियां खरीद कर आते हैं क्योंकि पढाई और वो भी भारतीय स्वास्थ्य चुनौतियों के लायक, पढाई तो वह वो कर भी नहीं पाते. यहाँ पर उन्हें फिर से पैसा खर्च करके यहाँ भी काम करने का लाइसेंस(लाइसेंसर एक्साम फॉर फोरेन मेडिकल ग्रैजुएत) मिल जाता है ! याद रक्खें, किसी भी अन्य देश में हमारी भारतीय चिकित्सा डिग्री मान्य नहीं हैं पर हम एकतरफा हर ऐरे गैरे देश को मान्यता दे चुके हैं और ये शक्ति है इन धनी छात्रो की I फिर से, इसमें असली कमाई होती है सरकारी मंत्रियो की!
तीसरे, एक और बड़ा जरिया है परीक्षा माफिओं के माध्यम से सरकारी अधिकारियो और नेताओ के धन कमाने का!
हर मेडिकल परीक्षा की सीटे बेचीं जाती हैं जिसमे नौकरशाहों से लेकर ऊपर स्वास्थ्य मंत्री तक का हिस्सा निश्चित होता है! देश की लगभग १४००० मेडिकल सीटो में कम से कम २५ % तो बेच ही दी जाती हैं ! इस तरह से बकायदे सरकारी संरक्षण से तैयार किये जाते हैं “मुन्ना भाई” !!
तो जब ये मजबूरी में लाये गए, बाप द्वारा जबरी पढने के लिए धकेले गए, सर्वथा अक्षम छात्र कुछ तो असर डालेंगे ही? और यही हैं अच्छे डॉक्टर्स की गरिमा ख़राब करने वाले अपराधी और जिनकी संख्या अभी काफी तेजी से बढ़ रही है!

और कहाँ से आते हैं नकली डॉक्टर?
हर गली, गाँव, नुक्कड़, काबिले, कसबे, शहर यहाँ तक की मेट्रो शहरो जैसे दिल्ली शहर में जहाँ अकेले खुद ४०, ००० से अधिक झोलाछाप डॉक्टर मौजूद हैं!! समूचे देश में क्या हाल होगा इसे खुद ही सोचा जा सकता है! और, जिनको संरक्षण फिर से वही नेता और पुलिस देते हैं और जिनसे जी भर के उगाही की जाती है! आई एम् ए आदि की शिकायतों के बावजूद इनपर कोई नकेल नहीं डाली जाती और जो जनता और मान्यताप्राप्त चिकित्सक दोनों को नुकसान पहुंचाते रहते हैं !
प्रख्यात सरकारी चिकित्सा संसथान से शिक्षित पेशेवर डॉक्टर तो शायद ही कभी कुछ गलत करे पर गलत तरीके से आया हुआ ये तथाकथित डॉक्टर तो सब कुछ करने के लिए स्वतंत्र होते हैं! मान्यताप्राप्त, निगरानी युक्त चिकित्सक तो गलत करने के पहले हजार बार सोचेगा पर फर्जी डॉक्टर को तो कोई डर ही नहीं होता!

अब, इतने चुनौतीपूर्ण व प्रतिकूल क्षेत्र में काम करने वाले चिकित्सक को जो “पेशा बना दिया है” इत्यादि कहते हैं उनको जानना चाहिए की भारत में गुणवत्ता के हिसाब से सबसे सस्ती चिकित्सा सुविधा मिलती है!
जबकि इन पेशेवर चिकित्सको को रंगदारी वसूलने वाले गुंडों, पुलिस, नुकसान पहुँचाने वाले झोला छापो से और काम करने की जगह पर सुरक्षा भी नहीं मिलती!! यह एक नारकीय स्थिति है!!

देश के पैसे को लूटने वाले, अपराधी “जन सेवक “नेताओं, अधिकारियो के लिए तो सारी मशीनरी काम पर लगा दी जाती है पर जनता की जान बचाने वाले डॉक्टर की सुरक्षा के लिए उच्चतम न्यायलय के निर्देश के बावजूद कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की जाती!

यह सब झेलकर और अपनी शिक्षा में धन इत्यादि लगा कर अगर चिकित्सक किसी भी पेशेवर की तरह एक प्रतिफल चाहता है तो क्या कुछ गलत करता है? इस देश में अवैध काम करने वाले माफिया, तस्कर, गुंडे, डाकू; देह बेचने वाली वेश्याएं, नंगी होती कमर मटकाने वाली फ़िल्मी हस्तियाँ, महा भ्रष्टाचार करने वाले नेता और सरकारी अधिकारी; अंगूठाछाप गंवार कलाकार खिलाडी अगर लाखो-करोडो-अरबो कमायें तो किसी को कष्ट नहीं है पर एक डॉक्टर के पैसे कमाने पर सभी को तकलीफ हो जाती है!
क्यों?!

सरकारी और गैर सरकारी गुंडे खुद तो काले तरीके से दौलत कमाते हैं और दोषारोपण के लिए चिकित्सको को आगे कर देते हैं!
कल ही एम्स में फर्जी डॉक्टर यानि मुन्ना भाइयो की भर्ती का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया जिसमे तीन मेडिकल छात्रो को गिरफ्तार किया गया हैI ऐसी एक नहीं सौ के लगभग बड़ी घटनाएँ पिछले ८-१० सालो में दर्ज की गयी हैं !
क्या हमें मालूम है की असल मामला क्या है ? कौन है इसके पीछे असली खिलाडी?
वास्तव में इस देश में एक बेहद संगठित परीक्षा माफिया है खासकर मेडिकल भर्ती माफिया जिसपर बड़े नौकरशाहों और ऊँचे नेताओ का हाथ है और जिसका वार्षिक कारोबार कई करोडो का है I मेडिकल की कोई २०-२५% सीटे बकायदे मंत्रियो के संज्ञान में ऊँचे दामो पर बेचीं जाती हैं! उसमे एमबीबीएस , एमडी, डॉक्टरेट की सीटे तक शामिल हैं!! इसमें शामिल माफिया ही फर्जी और वास्तविक मेडिकल छात्रो को इस घोटाले में शामिल करते हैं I २००१ में लखनऊ में हुए एक ऐसे ही गड़बड़ी को हमने दिल्ली में मीडिया (टाइम्स ऑफ़ इंडिया), पुलिस, शासन और न्यायलय में सामने लाने का प्रयास किया जहाँ से हमें इस महाभ्रष्टाचार की असलियत और उसका विस्तार मालूम चला I पुलिस की धमकी और (अंग्रेजी)मीडिया के माफिया-नेताओ के साथ सांठ गाँठ के कारण हमें मुंह की खानी पड़ी ! और आज भी, चोरो- लुटेरो की बड़ी मंडली का नाम अभी भी कोई नहीं ले रहा जो परदे के पीछे बैठकर इन सबका असली फायदा कमा रहे हैं !
पर, मेडिकल और भारतीय स्वस्थ्य सेवा को खोखला करने वाले और चिकित्सको को नुकसान पहुचने वाले कारण और भी हैं……
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क्रमशः…..

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