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बस दो शिकायतें

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18 फरवरी से 21 मार्च तक चली उत्तर प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा परिषद् की वार्षिक परीक्षाओं में इस बार भी काफी कुछ देखने को मिला| जहाँ एक तरफ लड़कियों का परचम लहराया वहीँ दूसरी ओर ये परीक्षाएं शक के घेरे में भी आई की कहीं हमारे प्रदेश के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ तो नही हो रहा! कहा जा रहा था कि इस बार यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में नक़ल करते पाए जाने पर परीक्षार्थियों को जेल जाने तक की नौबत आ सकती है पर इन तमाम कयासों के बावजूद नक़ल माफियाओं पर रोक लगाना वर्ष 2016 में भी शायद नामुमकिन साबित हुआ|
ऐसे कई विडियो सामने आये जिनमे साफ़ देखा जा सकता था कि किस तरह नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रहीं हैं और सरेआम नक़ल की जा रही है| हर बार की तरह इस बार भी नक़ल माफियाओं के कुछ नए प्रयास सामने आये| कोई सुपर मैन बन कर चौथी-पांचवी मंजिल पर बैठे परीक्षार्थी को उत्तर लिखी हुई पर्चियां पहुंचा रहा था तो कई जगहों पर एग्जाम टाइम से पहले प्रश्न पत्र व्हाट्स एप के सहारे परीक्षार्थियों तक पहुँच गए थे| प्रसाशन की कार्य प्रणाली में ढील थी या नक़ल माफियाओं की हिम्मत और भी ज्यादा बढ़ गई थी…इसका तो पता नहीं पर इस बार काफी कुछ अनोखा देखने को मिला|
यहाँ तक की आगरा के एक छात्र के एडमिट कार्ड पर सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर का फोटो छप कर आ गया| छात्र का नाम अर्जुन सिंह था पर शायद स्कूल प्रसाशन ने छात्र की फोटो देखने में थोड़ी सी अनदेखी कर दी और उसे सत्यापित कर दिया| खैर, प्रवेश पत्र की इस अनदेखी ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश माध्यमिक बोर्ड को प्रकाश में ला दिया| हाल तो तब बेहाल नज़र आये जब यह बात भी सामने आई की कुछ परीक्षा स्थलों में नक़ल रोकने के लिए कड़े इंतजाम किये जाने के बाद भी नक़ल माफियाओं ने केंद्र पर परीक्षार्थियों को इमला बोल बोल कर नक़ल करवाई| साथ ही साथ बलिया में इंटर की परीक्षाओं में जमकर नक़ल हुई| यहाँ 20 छात्र मिलकर 250 कापियां लिखते पकड़े गए|
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् वर्ष 2016 में, हाई स्कूल परीक्षा में 37,49,977और इंटरमीडिएट में 30,43,057 छात्रों ने यानि कुल लगभग 67,93,034 परीक्षार्थियों ने पंगीकरण करवाया था| ऐसे में पेपर लीक हो जाना, नक़ल माफियाओं पर लगाम ना कस पाना, नक़ल करने के लिए पर्चियां उपलब्थ कराया जाना, एडमिट कार्ड पर गलत फोटो का छप जाना तथा इमला बोल बोल कर नक़ल कराया जाना…इन सभी को प्रसाशन की अनदेखी कहा जाये या लगभग 67,93,034 छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़?
प्रसाशन की पैनी नज़र होने पर भी नक़ल का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है| ऐसे में उन बच्चों के भविष्य के साथ सच में खिलवाड़ हो रहा है जो इमानदारी से पढते हैं और यह उम्मीद करते हैं की उनकी मेहनत का फल अच्छा होगा! पर नक़ल के इस जंजाल में वो बच्चे ज्यादा नंबर पा जाते हैं जिनकी कॉपी पर वज़न ज्यादा होता है या फिर जिनके मददगार नक़ल माफिया होते हैं|
मेहनत से पढने के बाद भी अच्छे नंबर ना आ पाना कहीं न कहीं प्रदेश की युवा शक्ति को निरुत्साहित और डीमोटीवेट कर रहा है| ऐसे में सिर्फ दो ही शिकायतें हैं एक आम बच्चे की-
पहली- प्रसाशन परीक्षा प्रणाली, और कापियों की चेक्किंग में चुस्ती कब बरतेगा?
दूसरी-नक़ल माफियाओं पर नकेल कब कासी जाएगी ताकि इमानदारी से एग्जाम दिये जा सके?

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