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पोंटिंग से सबक लें सचिन

एक नजर इधर भी
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sachin tendulkar and pontingरिकी पोंटिंग का नाम आते ही दिमाग में जबर्दस्त नेतृत्व करने वाले व्यक्ति की छवी उभरती है. लागातार 17 सालों से आस्ट्रेलिया क्रिकेट के लिए अपने आप को समर्पित करने वाले रिकी पोंटिंग ने सोमवार को घोषणा करते हुए एकदिवसीय क्रिकेट से अलवीदा ले लिया. अभी हाल-फिलहाल भारत के खिलाफ टेस्ट में उम्दा प्रदर्शन करने बाद भी यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि यह क्रिकेट का सितारा इतनी जल्दी क्रिकेट से संन्यास ले लेगा. आस्ट्रेलियाइ क्रिकेट ने मौजूदा त्रिकोणीय एकदिवसीय मुकाबले में पोंटिंग के खराब प्रदर्शन को देखते हुए बचे हुए मैचों के लिए उन्हें बाहर कर दिया. इस बात से पोंटिंग काफी निराश भी हुए होंगे. लेकिन अपने बूरे प्रदर्शन से भलिभांति परिचित भी थे. इसलिए उन्होंने कोई देरी न करते हुए अपने सन्यास की घोषणा कर दी.


विश्व में सबसे अधिक क्रिकेट मैचों में कप्तानी करने वाले रिकी पोंटिंग ने अपनी शानदार बल्लेबाजी से हजारों-लाखों क्रिकेट प्रेमियों को दीवाना बनाया. वनडे में सबसे अधिक रन बनाने वालों में सचिन के बाद उनका ही नम्बर है. क्रिकेट को लेकर उनकी एक अलग ही प्रतिष्ठा है उन्होंने अपनी कप्तानी में लगातार दो बार आस्ट्रेलिया को वर्ल्ड कप का खिताब दिलाकर यह प्रतिष्ठा दिखाई. एक मझे हुए खिलाड़ी की तरह और आखिरी तक कोई उम्मीद न छोड़ने वाले इस खिलाड़ी ने अंत तक अपनी सम्मान प्रतिष्ठा बचाए रखी.


वहीं विश्व के महान खिलाड़ी और सैकड़ों खिलाड़ी के प्रेरणा स्रोत सचिन रमेश तेंदुलकर की बात की जाए प्रतिष्ठा के मामले में वह रिकी पोंटिंग से थोड़ा कम है. रनों का पहाड़ खड़ा करने वाले सचिन तेन्दुलकर भी आज बूरे दौर से गुजर रहे हैं. प्रदर्शन के मामले में उनके हालात तो पोंटिंग से भी ज्यादा खराब है. महाशतक का ऐसा हऊआ बना दिया गया है कि ऐसा लगता है कि वह देश के लिए नहीं बल्कि महाशतक बनाने के लिए खेलते हैं और खुद और दर्शकों को भी मायूस करते हैं.


आस्ट्रेलियाइ क्रिकेट ने पोंटिंग के बूरे प्रदर्शन और बढ़ती उम्र को परख लिया लेकिन वही अगर बात करें बीसीसीआई की तो सचिन के बूरे प्रदर्शन और बढ़ती उम्र को देखकर भी अनदेखी कर रही है. ऐसा लगता है कि सचिन बीसीसीआई के लिए नहीं बनें बल्की बीसीसीआई सचिन के लिया बना है. तभी जब उनका मन होता है तब वह क्रिकेट खेलते हैं और जब उनका मन नहीं होता तो वह छुट्टी पर आराम करने के चले जाते हैं. बीसीसीआई सचिन के अधिन हो चुकी है. उनको लेकर वह निर्णायक निर्णय भी नहीं ले पा रही.


इस समय सचिन का बूरा दौर है. अपनी मान और प्रतिष्ठा का ख्याल रखते हुए सचिन को सन्यास ले लेना चाहिए. महाशतक के इंतजार में कई उभरते हुए यूवाओं का भविष्य अंधकार में जा रहा है. यहां सचिन को ही नहीं हर उस खिलाड़ी को पोंटिंग की तरह सन्यास ले लेना चाहिए जो अपने बूरे प्रदर्शन और बढ़ती उम्र से पीड़ित हैं.


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