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आज दुनिया के सामने एक बड़ा संकट आ चुका है जिसे देखकर हर कोई या तो अंजान बन रहा है या फिर उन्हें इस संकट की विकरालता का आभास नहीं है। तमाम तरह की चेतावनी और जागरुकता अभियान के बावजूद कोई यह समझने को तैयार नहीं है कि विश्व में जल संकट एक बड़ा विकराल रूप लेता जा रहा है।
कहा जाता है कि तीसरा विश्व युद्ध जल में भारी कमी की वजह से विभिन्न देशों के बीच लड़ा जाएगा। जल की हो रही बर्बादी और उसके संचय के लिए पर्याप्त योजना न होना इसकी मुख्य वजह मानी जा रही है।
भारत की ही बात कर ली जाए जहां हर तरफ पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। पीने का पानी उपलब्ध न होना, जल में भारी कमी की वजह से सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर होना आदि भविष्य में होने वाले भयंकर जल संकट से परिचय करा रही है।
दुर्भाग्य की बात तो यह है कि जीवन में जल के महत्व को समझते हुए भी लोग इसके बचाव को लेकर पूरी तरह से सतर्क नहीं है। दिल्ली शहर में जहां पीने का पानी एक बहुत बड़ा मुद्दा है, राजनीति पार्टी इसे सबसे बड़े चुनावी मुद्दे के तौर पर देखती है उसी शहर में पानी नाले भरने का काम कर रही है जबकि प्रशासन गहरी नींद में सोई रहती है। बर्बाद होता पानी को देख जनता भी अपनी जिम्मेदारी से बचती रही है।
आज हम जिस स्थिति में खड़े हैं स्वत: हमे एहसास होना चाहिए कि पानी और केवल पानी ही हमारे भविष्य को सुरक्षित रख सकता है।
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