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आज जब पूरा कश्मीर जलमग्न है लाखों जिंदगियां जूझ रही है तो -उमर अब्दुल्ला ,और ये अलगाववादी नेता जिन्हे कश्मीरियों की बड़ी चिंता
थी ,ये तमाम मुस्लिम संगठन जो कहते थे की केवल हम ही जनता की नब्ज को समझते है !बड़े शर्म की बात है आज कोई कही नहीं दिख रहा
हमारे मरीन कमांडो ,हमारी सेना ने बेमिसाल काम किया अब तक ६५ हजार लोगो को बचाया और अभी बचाव कार्य जारी है !कश्मीर के आकाश
में ६५ हेलीकॉप्टर लगातार काम में लगे हैं !
जो लोग अपनी मौत को पीछे छोड़ आये ,जिन्हे जवानो ने बचाया कम से कम वे और उनके परिवार वाले अपने देश ,अपनी सेना ,अपनी ब्यवस्था
का गुणगान करे ,यहां की धरती पर जान न्योछावर को तैयार रहे तो भी हमारे कश्मीर में किसी अलगाववादी संगठन की चाल कामयाब नहीं हो
सकती !
जो लोग भारत की धरती पर सांस लेतें हैं यहाँ के अन्न और पानी से अपने जिस्म में जान भरतें हैं उन्हें सोचना पड़ेगा ! उनको सोचना चाहिए की
उनका वतन कहाँ है ?
हमारी पिछली सरकारों ने विकास की गलत राह चुनी !हिमालयी क्षेत्रों में बाढ़ की त्रासदी इसी का परिणाम है !
केंद्र सरकार की यह जिम्मेदारी थी कि -यहाँ कि प्रकृति ,और जान माल की सुरक्षा पर काम करती !मैंने कभी नहीं सुना की वहां के नगरी करण
जल निकासी ,प्रकृति के संरक्षण को लेकर कोई काम या योजना बनी हो !
लाल चौक जो शहर का दिल है वहां बोट चला कर हमारे जवान लोगों को सुरक्षित ठिकाने दे रहे है !
उत्तराखंड में पिछली बार जब बाढ़ आई तीसरे दिन सरकार जगी !अपने ही घर में हिमालय और गंगा के संरक्षण पर किसी का ध्यान नहीं जाता
प्रकृति के साथ जीवन के रिश्ते है -इसे हम भूलते जा रहे हैं !
आज वायु और जल दूषित होते जा रहें हैं! ईश्वर प्रदत्त इस अनुपम जीवन धारा को हम हम यूं ही खो रहे हैं ,इसका मूल्य नहीं समझ रहे !
शकुंतला मिश्रा-कहाँ हैं कश्मीर के खैरख्वाह ?
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