saanjh aai
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बड़े भाग्य की बात !
मथ रहा सिंधु !
है भारत आज !
है सर्प रहा फुप्कार ,जले संसार !
तुम रुको !!!
पियूष आएगा !
समझा दो उनको –
फिर से न चुरा कर पी लें सुधा हमारी !
इस बार जहर भी उनको पीना होगा ,
जो मिला सामने शत्रु तो मरना होगा !
हिम के शिखरों से आज उठी है ज्वाला ,
तांडवी तेज ने दी है धर्म की हाला !
संसार हमारा धीर ,धर्म देखेगा ,
हर भारत वासी नई नीति खेलेगा !
मंदिर ,मस्जिद ,गिरजा और गुरुद्वारों में ,
जब मिले काल गलियो में या शहरों में !
जय महाकाल !सत श्री अकाल !!
हम नहीं दीन, दुर्बल , मराल !
जन-जन के भीतर नई क्रान्ति बोलेगी ,
हर शहर ,गाँव और गली शांति डोलेगी !
विज्ञान भी अब हम धर्म के साथ गढ़ेंगे ,
“इसरो ” के संत नया इतिहास लिखेंगे !
खुशहाली ,हरियाली और धर्म के पालक ,
भारत का बूढा ,बच्चा और हर बालक !!
शकुन्तला मिश्रा -बड़े भाग्य की बात
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